हिंदू धर्म की विशाल परंपराओं में, नवग्रह, यानी नौ खगोलीय पिंडों या ग्रहों की अवधारणा का अत्यधिक महत्व है। माना जाता है कि ये ब्रह्मांडीय प्रभावशाली हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं, हमारे भाग्य को आकार देते हैं और हमारे कल्याण को प्रभावित करते हैं। उनकी शक्ति का उपयोग करने और उनका सौभाग्य प्राप्त करने के लिए, भक्त शक्तिशाली मंत्रों का उपयोग करते हैं जिन्हें नवग्रह बीज मंत्र कहा जाता है।
बीज मंत्र: दिव्य ऊर्जा के बीज
बीज मंत्र, जिसका शाब्दिक अर्थ “बीज मंत्र” होता है, एक शक्तिशाली शब्दांश या शब्दांश समूह है जिसे किसी देवता या दिव्य सिद्धांत के सार को समाहित करने वाला माना जाता है। इन पवित्र ध्वनियों को असीम ऊर्जा से युक्त माना जाता है, जो किसी विशेष ग्रह के विशिष्ट स्पंदनों के साथ गूंजने में सक्षम होती हैं। इन मंत्रों का जाप संबंधित ग्रह (ग्रह) के आशीर्वाद का आह्वान करने और उनके सकारात्मक प्रभाव को आकर्षित करने का एक तरीका माना जाता है।
नौ खगोलीय पिंड और उनके मंत्र
हिंदू ज्योतिष प्रणाली नौ प्राथमिक ग्रहों की पहचान करती है, जिनमें से प्रत्येक की अनूठी विशेषताएं और नियंत्रित पहलू होते हैं। यहां नवग्रह बीज मंत्रों का एक विवरण दिया गया है:
- सूर्य (Surya): जीवन और ऊर्जा का स्रोत, सूर्य।
- मंत्र: ॐ ह्रीं ह्रौं सूर्याय नमः (Om Hreem Hraum Suryaya Namah)
- चंद्र (Chandra): चंद्रमा, भावनाओं और मन को नियंत्रित करने वाला।
- मंत्र: ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः (Om Aim Kleem Somaya Namah)
- मंगल (Mangala): मंगल, साहस, कार्य और महत्वाकांक्षा से जुड़ा हुआ है।
- मंत्र: ॐ क्रां क्रीं मंगलाय नमः (Om Kraam Kreem Mangalaya Namah)
- बुध (Budha): बुद्धि, संचार और सीखने का ग्रह, बुध।
- मंत्र: ॐ ब्रां ब्रीं बुधाय नमः (Om Braam Breem Budhaya Namah)
- गुरु (Guru): बृहस्पति, दयालु शिक्षक, ज्ञान, वृद्धि और समृद्धि का प्रतीक।
- मंत्र: ॐ ग्रां ग्रीं गुरवे नमः (Om Graam Greem Gurve Namah)
- शुक्र (Shukra): शुक्र, प्रेम, सौंदर्य और आनंद का अवतार।
- मंत्र: ॐ द्रां द्रीं शुक्राय नमः (Om Draam Dreem Shukraya Namah)
- शनि (Shani): शनि, कर्मफल दाता ग्रह, अनुशासन, कर्म और न्याय से जुड़ा हुआ है।
- मंत्र: ॐ प्रां प्रीं शनये नमः (Om Praam Preem Shanaye Namah)
- राहु (Rahu): चंद्र का उत्तरी गमन बिंदु, राहु, वैराग्य, भ्रम और अपरंपरागत कार्यों का प्रतीक।
- मंत्र: ॐ भ्रां भ्रीं राहवे नमः (Om Bhram Bhreem Rahuve Namah)
- केतु (Ketu): चंद्र का दक्षिणी गमन बिंदु, केतु, आध्यात्मिकता, मुक्ति और जीवन के छिपे पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है।
- मंत्र: ॐ क्शां क्षीं केतवे नमः (Om Kshaam Ksheem Ketave Namah)
बीज मंत्रों का जाप:
- बीज मंत्रों का जाप माला, रुद्राक्ष या किसी भी अन्य माला का उपयोग करके किया जा सकता है।
- प्रत्येक मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए।
- मंत्रों का जाप एकाग्रता और शांत वातावरण में करना चाहिए।
- मंत्रों का जाप करते समय ग्रह की छवि का ध्यान करना भी फायदेमंद होता है।
बीज मंत्रों के लाभ:
- बीज मंत्रों का जाप ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और उनकी सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में मदद करता है।
- बीज मंत्रों का जाप व्यक्ति के जीवन में ग्रहों के अनुकूल प्रभावों को बढ़ाने में मदद करता है।
- बीज मंत्रों का जाप व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने में मदद करता है।
नवग्रह बीज मंत्रों का प्रयोग करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- मंत्रों का जाप सही उच्चारण के साथ करना चाहिए।
- मंत्रों का जाप नियमित रूप से करना चाहिए।
- मंत्रों का जाप सकारात्मक भावनाओं के साथ करना चाहिए।
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नवग्रह बीज मंत्र ग्रहों की शक्ति का आह्वान करने और उनसे अनुकूल प्रभाव प्राप्त करने का एक शक्तिशाली साधन है। मंत्रों का जाप नियमित रूप से करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।