माघ पूर्णिमा 2024: शुभ मुहूर्त, महत्व और मनाने का तरीका Magh Purnima: Vrat • Puja • Vishnu • Chandarma • Aarti • Ganga
माघ पूर्णिमा, जिसे माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में सबसे शुभ पूर्णिमाओं में से एक है। यह हिंदू कैलेंडर के माघ महीने के पूर्णिमा तिथि को होती है। इस साल यह तिथि 24 फरवरी 2024 को पड़ रही है। यह दिन भगवान विष्णु, चंद्रमा और गुरु बृहस्पति को समर्पित है। इस दिन श्रद्धालु कई तरह के अनुष्ठान करते हैं, जो आध्यात्मिक विकास और सौभाग्य लाने के लिए माने जाते हैं।
माघ पूर्णिमा का महत्व:
- भगवान विष्णु की पूजा: माघ पूर्णिमा का मुख्य महत्व भगवान विष्णु की पूजा है। माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने सत्यनारायण भगवान का अवतार लिया था। इस दिन लोग व्रत रखते हैं, पूजा-पाठ करते हैं और भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भजन-कीर्तन करते हैं। मान्यता है कि इस दिन उनकी कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- चंद्रमा की पूजा: इस दिन चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है। माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण प्रभाव में होता है और उसे पूजने से सौभाग्य, सुख-समृद्धि और मन की शांति मिलती है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से मन शांत होता है, नकारात्मक विचार दूर होते हैं, और सकारात्मकता बढ़ती है।
- पवित्र स्नान: माघ पूर्णिमा के दिन गंगा (Ganga) या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्नान से पापों का नाश होता है और मन शुद्ध होता है।
- दान का महत्व: माघ पूर्णिमा पर दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना भी इस दिन शुभ माना जाता है।
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Magh Purnima मनाने का तरीका:
सुबह:
- स्नान: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा: घर में भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा करें। आप उन्हें तुलसी या सफेद फूल चढ़ा सकते हैं, दीप प्रज्वलित कर सकते हैं, और उनकी आरती कर सकते हैं।
- व्रत: यदि आप व्रत रखना चाहते हैं, तो फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- मंत्र जप: आप इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ सोम सोमाय नमः” जैसे मंत्रों का जप कर सकते हैं।
दोपहर:
- दान: इस दिन दान करना न भूलें। गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- पवित्र नदी में स्नान: यदि संभव हो तो इस दिन गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करें।
शाम:
- चंद्रमा की पूजा: शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें। आप चंद्रमा को दूध, जल, और चावल अर्पित कर सकते हैं।
- भजन-कीर्तन: आप इस दिन भगवान विष्णु और चंद्रमा के भजन-कीर्तन में भी भाग ले सकते हैं।
अन्य बातें:
- इस दिन सत्य बोलें, दूसरों की मदद करें, और बुरे विचारों से दूर रहें।
- इस दिन घर में सकारात्मक वातावरण बनाए रखें।
- इस दिन धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें और कथा सुनें।
यह माघ पूर्णिमा मनाने का एक सामान्य तरीका है। आप अपनी सुविधा और इच्छा के अनुसार इसमें बदलाव कर सकते हैं।
Magh Purnima Vrat और Puja विधि:
- पूर्व तैयारी: व्रत से एक दिन पहले, सात्विक भोजन करें और मांस-मदिरा का सेवन न करें।
- व्रत का दिन:
- सुबह: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा: घर में भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा करें। उन्हें तुलसी या सफेद फूल चढ़ाएं, दीप प्रज्वलित करें, और आरती करें।
- भोजन: व्रत के दौरान फलाहार या सात्विक भोजन करें।
- दिन भर: भगवान विष्णु और चंद्रमा का नाम जपें, धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें, और कथा सुनें।
- शाम: चंद्रमा को अर्घ्य दें और भजन-कीर्तन करें।
व्रत का पारण:
- सुबह: अगले दिन, सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा: भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा करें और उन्हें धन्यवाद दें।
- भोजन: ब्राह्मणों को भोजन कराएं और गरीबों को दान दें।
- पारण: इसके बाद, आप व्रत का पारण कर सकते हैं।
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Chandarma आरती: Aarti
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी।
रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी।दीन दयाल दयानिधि, भव बंधन हारी।
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि।
योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें।ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, संत करें सेवा।
वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी।प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी।
शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी।धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे।
विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी।सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें।
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।
Vishnu आरती: Aarti
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
ध्यान रखें कि:
- लेख में दी गई जानकारी धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित है। इसे किसी वैज्ञानिक प्रमाण के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।
- यदि आप किसी विशेष अनुष्ठान या पूजा-पाठ को करना चाहते हैं, तो किसी योग्य गुरु या पुरोहित से सलाह अवश्य लें.