भारत और European Free Trade Association (EFTA) ने रविवार को एक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का लक्ष्य निवेश को बढ़ावा देना और आईटी, ऑडियो-विजुअल और कुशल पेशेवरों की आवाजाही जैसे प्रमुख घरेलू सेवा क्षेत्रों के निर्यात को बढ़ाना है।

EFTA
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EFTA आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड जैसे यूरोपीय देशों का एक समूह है।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हवाला देते हुए कहा, “हालांकि कई मामलों में संरचनात्मक विविधताएं हैं, फिर भी हमारी अर्थव्यवस्थाओं में पूरकताएं हैं जो सभी देशों के लिए फायदे का सौदा साबित होंगीं। व्यापार और निवेश के भारी अवसर खुलने के साथ, हम विश्वास और महत्वाकांक्षा के एक नए स्तर पर पहुंच गए हैं। यह व्यापार समझौता खुले, समान व्यापार को बढ़ावा देने और युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने की हमारी साझा सहमति का प्रतीक है।”

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उन्होंने आगे कहा, “भारत ईएफटीए देशों को हर संभव समर्थन देगा और उद्योग और व्यवसायों को न केवल लक्ष्य हासिल करने में बल्कि उनसे आगे निकलने में भी सहायता करेगा। यह समझौता हम सभी के लिए अधिक समृद्ध भविष्य की यात्रा में हमारे देशों के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक हो सकता है।”

पीएम मोदी ने भारत और EFTA व्यापार समझौते की सराहना की

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस समझौते का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि भारत-EFTA व्यापार समझौता खुले, निष्पक्ष और समान व्यापार के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि EFTA देशों का डिजिटल व्यापार, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं और फार्मा जैसे विविध क्षेत्रों में नवाचार और अनुसंधान एवं विकास में वैश्विक नेतृत्व सहयोग के नए द्वार खोलेगा।

यह समझौता, जिसे आधिकारिक तौर पर व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते (TEPA) के रूप में जाना जाता है, 10 साल की अवधि में 100 बिलियन डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता और अगले 5 वर्षों में एक और 50 बिलियन डॉलर के निवेश की मांग करता है। यह निवेश समझौते के तहत शुल्क घटाने से जुड़ा होगा।

भारत और ईएफटीए के बीच यह समझौता जनवरी 2008 से बातचीत के बाद हुआ है।

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