भारत में चुनाव एक आम सी बात हो गई है हर कुछ महीनों में कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं। इससे जुड़ी समस्याओं को कम करने के लिए “एक राष्ट्र, एक चुनाव” (One Nation One Election – ONOE) का प्रस्ताव चर्चा में है। आइए समझते हैं ये चुनावी सुधार क्या है और इससे क्या फायदे-नुकसान हो सकते हैं।

One Nation, One Election
One Nation, One Election

क्या है एक राष्ट्र, एक चुनाव? What is one nation one election?

इस प्रस्ताव के तहत भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की बात होती है। अभी जो व्यवस्था है, उसके तहत केंद्र और राज्य सरकारों के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। एक राष्ट्र, एक चुनाव लागू होने पर पूरे देश में एक ही दिन लोकसभा और विधानसभा चुनाव हो जाएंगे।

एक राष्ट्र, एक चुनाव पर कोविन्द समिति की रिपोर्ट Report of Kovind Committee on One nation, one election

भारत सरकार ने सितंबर 2023 में “एक राष्ट्र, एक चुनाव” (ONE) की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया था। इस समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी ने की थी। समिति में कुल 8 सदस्य थे, जिनमें राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त, वरिष्ठ वकील और अर्थशास्त्र शामिल थे।

यह समिति “एक राष्ट्र, एक चुनाव” प्रस्ताव के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने, इसके फायदे और नुकसान का आकलन करने और इस प्रणाली को लागू करने के लिए सिफारिशें करने के लिए गठित की गई थी। समिति ने सितंबर 2024 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी।

एक राष्ट्र, एक चुनाव: कोविन्द समिति के सदस्य One nation, one election: Kovind committee members

2 सितंबर 2023 को, भारत सरकार ने “एक राष्ट्र, एक चुनाव”  की संभावनाओं का पता लगाने के लिए 8 सदस्यों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था।

  • पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (अध्यक्ष)
  • गृह मंत्री अमित शाह
  • राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद
  • पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप
  • वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे
  • पूर्व वित्त आयोग अध्यक्ष एन.के. सिंह
  • पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील कुमार
members of kovind committee
One Nation, One Election: What is it, experts’ opinion, advantages and disadvantages

एक राष्ट्र, एक चुनाव पर कोविन्द समिति के सुझाव: Kovind Committee’s suggestions on One Nation, One Election:

  • समिति ने एक राष्ट्र, एक चुनाव को लागू करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है।
  • रिपोर्ट में संविधान के पांच अनुच्छेदों में संशोधन की सिफारिश की गई है।
  • रिपोर्ट में एकल मतदाता सूची बनाने की सिफारिश की गई है।
  • रिपोर्ट में चुनाव खर्च को कम करने के लिए कई उपायों की सिफारिश की गई है।

समिति ने अपनी रिपोर्ट 14 मार्च 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी।

सरकार ने अभी तक रिपोर्ट पर कोई निर्णय नहीं लिया है।

एक राष्ट्र, एक चुनाव पर विशेषज्ञों की राय विभाजित है। कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह एक सकारात्मक सुधार होगा, जबकि अन्य का मानना ​​है कि इससे नकारात्मक परिणाम होंगे।

एक राष्ट्र, एक चुनाव: फायदे और नुक़्सान  One Nation, One Election: Advantages and Disadvantages

भारत में चुनाव एक कभी न खत्म होने वाला सिलसिला लगता है। हर कुछ महीनों में कहीं न कहीं चुनाव हो ही रहे होते हैं। इसी समस्या को सुलझाने के लिए “एक राष्ट्र, एक चुनाव” (One Nation, One Election – ONOE) का प्रस्ताव चर्चा में है। आइए जानते हैं इस प्रस्ताव के फायदे और नुकसान के बारे में।

फायदे

  • खर्च में कमी : एक साथ चुनाव कराने से चुनाव आयोग, सरकार और राजनीतिक दलों पर होने वाला खर्च कम हो सकता है।
  • प्रशासनिक सुधार : सुरक्षाबलों की तैनाती और मतदान प्रक्रिया को व्यवस्थित करने में भी सहूलियत होगी।
  • राजनीतिक स्थिरता : बार-बार चुनावों से राजनीतिक अस्थिरता पैदा होती है। एक साथ चुनाव होने से स्थिरता आ सकती है।
  • मतदाता जागरूकता : बार-बार चुनावों से मतदाता थक जाते हैं। एक साथ चुनाव होने से मतदाताओं की सक्रियता बढ़ सकती है।

नुक़सान

  • संविधान में बदलाव : इस प्रणाली को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी।
  • क्षेत्रीय दलों को नुकसान: राष्ट्रीय मुद्दों पर चुनाव होने से क्षेत्रीय मुद्दे दब सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय दलों को नुकसान हो सकता है।
  • विचारधाराओं का टकराव: एक साथ चुनाव होने से किसी एक मुद्दे पर जनता का गुस्सा पूरे शासन पर जा सकता है।
  • विपक्ष का कमज़ोर होना: बार-बार चुनाव विपक्ष को मजबूत बनाते हैं। एक साथ चुनाव होने से विपक्ष कमज़ोर हो सकता है।

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एक राष्ट्र, एक चुनाव पर विशेषज्ञों की राय: Experts’ opinion on One Nation, One Election:

  • डॉ. सुशील कुमार, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त: “एक राष्ट्र, एक चुनाव एक अच्छा विचार है, लेकिन इसे लागू करने से पहले कई चुनौतियों पर विचार करने की आवश्यकता है।”
  • श्री पी. चिदंबरम, पूर्व वित्त मंत्री: “एक राष्ट्र, एक चुनाव एक संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी, और यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि यह संघीय ढांचे को कमजोर न करे।”
  • श्रीमती ममता बनर्जी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री: “एक राष्ट्र, एक चुनाव क्षेत्रीय दलों को नुकसान पहुंचाएगा और यह लोकतंत्र के लिए खतरा होगा।”
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