गंगू रामसे: एक भारतीय सिनेमैटोग्राफर, निर्माता और निर्देशक थे, जिन्हें हिंदी फिल्मों में हॉरर फिल्मों के जनक के रूप में जाना जाता था। उन्होंने 1972 से 2010 तक कई हॉरर फिल्मों का निर्देशन और निर्माण किया।
गंगू रामसे का जन्म 1939 में हुआ था और उन्होंने 1960 के दशक में एक सिनेमैटोग्राफर के रूप में अपना करियर शुरू किया था। उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, जिनमें “जंगली” (1961) और “मेरा गाँव मेरा देश” (1971) शामिल हैं।
1972 में, उन्होंने अपनी पहली हॉरर फिल्म “दो गज़ ज़मीन के नीचे” का निर्देशन किया। यह फिल्म एक बड़ी सफलता थी और इसने हिंदी फिल्मों में हॉरर जॉनर की शुरुआत की।
गंगू रामसे ने कई अन्य सफल हॉरर फिल्मों का निर्देशन और निर्माण किया, जिनमें “दरवाज़ा” (1978), “पुराना मंदिर” (1984), “वीराना” (1988), और “पुरानी हवेली” (1989) शामिल हैं। उनकी फिल्मों को उनके स्पेशल इफेक्ट्स, स्टंट और सस्पेंस के लिए सराहा गया था। उन्होंने हिंदी फिल्मों में हॉरर जॉनर को लोकप्रिय बनाने में मदद की।
2010 में, गंगू रामसे को पद्म श्री से सम्मानित किया गया, जो भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं। उनका 2024 में निधन हो गया।
गंगू रामसे की पुरानी फिल्में:
गंगू रामसे एक भारतीय सिनेमैटोग्राफर, निर्माता और निर्देशक थे, जिन्हें हिंदी फिल्मों में हॉरर फिल्मों के जनक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने 1972 से 2010 तक कई हॉरर फिल्मों का निर्देशन और निर्माण किया।गंगू रामसे की कुछ सबसे लोकप्रिय पुरानी फिल्मों में शामिल हैं:
- दो गज़ ज़मीन के नीचे (1972):
यह फिल्म एक युवा, अमीर वैज्ञानिक राजवंश की कहानी है। एक दुर्घटना के बाद राजवंश अपने पैरों का इस्तेमाल करने में असमर्थ हो जाता है। वह अपनी पत्नी अंजलि पर निर्भर हो जाता है, जो उसके साथ दुर्व्यवहार करती है और उसकी संपत्ति हथियाने की साजिश रचती है। राजवंश के घर की देखभाल करने वाली एक युवती मीरा उसकी मदद करती है।
कहानी में मोड़ तब आता है, जब राजवंश की हत्या उसकी पत्नी अंजलि और उसके प्रेमी आनंद द्वारा कर दी जाती है। इसके बाद, राजवंश भूत बनकर उन दोनों से बदला लेने के लिए लौट आता है।
यह फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल रही और बॉक्स ऑफिस पर ₹1.5 करोड़ की कमाई करने में सफल रही। इसकी कहानी, निर्देशन, अभिनय और विशेष प्रभावों को उस समय की फिल्मों के लिए काफी सराहा गया। इस फिल्म को हिंदी हॉरर फिल्मों की शुरुआत करने वाली फिल्मों में से एक माना जाता है।
- दरवाज़ा (1978):
दरवाज़ा 1978 में आई एक हिंदी हॉरर फिल्म है। यह फिल्म एक ऐसे परिवार की कहानी है, जो एक भूतिया हवेली में रहने जाता है। हवेली में प्रवेश करने के बाद, परिवार अजीबोगरीब घटनाओं का अनुभव करने लगता है। उन्हें पता चलता है कि हवेली में एक शक्तिशाली दानव रहता है, जो उन्हें मारने की कोशिश कर रहा है।
विशेषताएं:
- यह फिल्म अपने स्पेशल इफेक्ट्स के लिए प्रसिद्ध है, जो उस समय के लिए काफी उन्नत थे।
- फिल्म में डर और रहस्य का माहौल बनाए रखा गया है।
- फिल्म में कुछ यादगार गाने भी हैं, जैसे “आज फिर जीने की तमन्ना है” और “तेरे बिना ज़िंदगी से कोई गिला नहीं”।
- दरवाज़ा हिंदी हॉरर फिल्मों की सबसे लोकप्रिय फिल्मों में से एक है। इस फिल्म ने हिंदी फिल्मों में हॉरर जॉनर को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- पुराना मंदिर (1984):
पुराना मंदिर 1984 में आई एक हिंदी हॉरर फिल्म है। यह फिल्म एक ऐसे परिवार की कहानी है, जो एक पुराने मंदिर के पास रहता है। मंदिर में एक शक्तिशाली राक्षस रहता है, जो परिवार को परेशान करना शुरू कर देता है।
विशेषताएं:
- यह फिल्म अपने स्पेशल इफेक्ट्स और स्टंट के लिए प्रसिद्ध है।
- फिल्म में डर और रहस्य का माहौल बनाए रखा गया है।
- फिल्म में कुछ यादगार गाने भी हैं, जैसे “ओ जाने जहाँ” और “तेरे मेरे सपने”
- वीराना (1988):
वीराना 1988 में आई एक हिंदी हॉरर फिल्म है। यह फिल्म एक ऐसे परिवार की कहानी है, जो एक भूतिया गांव में रहने जाता है। गांव में एक शक्तिशाली चुड़ैल रहती है, जो परिवार को परेशान करना शुरू कर देती है।
विशेषताएं:
- यह फिल्म अपने स्पेशल इफेक्ट्स और स्टंट के लिए प्रसिद्ध है।
- फिल्म में डर और रहस्य का माहौल बनाए रखा गया है।
- फिल्म में कुछ यादगार गाने भी हैं, जैसे “सथी मेरे साथी” और “तेरे बिना ज़िंदगी से कोई गिला नहीं”।
- पुरानी हवेली (1989):
पुरानी हवेली 1989 में आई एक हिंदी हॉरर फिल्म है। यह फिल्म एक युवा जोड़े की कहानी है, जो एक भूतिया हवेली में रहने जाता है। हवेली में एक शक्तिशाली राक्षस रहता है, जो जोड़े को परेशान करना शुरू कर देता है।
विशेषताएं:
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- यह फिल्म अपने स्पेशल इफेक्ट्स और स्टंट के लिए प्रसिद्ध है।
- फिल्म में डर और रहस्य का माहौल बनाए रखा गया है।
- फिल्म में कुछ यादगार गाने भी हैं, जैसे “तेरी यादों में खो गया” और “ओ जाने वाले हो सके तो लौट आना”।
- तहखाना (1986):
तहखाना 1986 में आई एक हिंदी हॉरर फिल्म है। यह फिल्म एक अमीर परिवार की कहानी है, जो एक पुराने घर में रहता है। घर के तहखाने में एक शक्तिशाली राक्षस रहता है, जो परिवार को परेशान करना शुरू कर देता है।
सबूत एक व्यावसायिक सफलता थी और इसने बॉक्स ऑफिस पर ₹1.5 करोड़ की कमाई की। इसकी कहानी, निर्देशन, अभिनय और विशेष प्रभावों को उस समय की फिल्मों के लिए काफी सराहा गया था। इसे हिंदी हॉरर फिल्मों की क्लासिक फिल्मों में से एक माना जाता है।
- दहशत (1981):
दहशत 1981 में आई एक हिंदी हॉरर फिल्म है। यह फिल्म एक युवा, अमीर वैज्ञानिक राजवंश की कहानी है। एक दुर्घटना के बाद राजवंश अपने पैरों का इस्तेमाल करने में असमर्थ हो जाता है। वह अपनी पत्नी अंजलि पर निर्भर हो जाता है, जो उसके साथ दुर्व्यवहार करती है और उसकी संपत्ति हथियाने की साजिश रचती है। राजवंश के घर की देखभाल करने वाली एक युवती मीरा उसकी मदद करती है।
- अंधेरा (1975): अंधेरा 1975 में आई एक हिंदी हॉरर फिल्म है। यह फिल्म एक युवा, अनाथ लड़के दीपक की कहानी है। दीपक एक अमीर परिवार के लिए काम करता है। परिवार के बेटे रंजीत दीपक की प्रेमिका आशा का अपहरण कर लेता है। दीपक रंजीत से बदला लेने का फैसला करता है।
इन फिल्मों को उनके स्पेशल इफेक्ट्स, स्टंट और सस्पेंस के लिए सराहा गया था। गंगू रामसे ने हिंदी फिल्मों में हॉरर जॉनर को लोकप्रिय बनाने में मदद की।
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