Bikaner News, 16 अप्रैल 2024: मंगलवार को बीकानेर के लूणकरणसर तहसील में एक अविश्वसनीय घटना सामने आई, जिसने इलाके में सनसनी फैला दी। सहजरासर गांव की एक ढाणी में अचानक जमीन करीब 70 फीट गहरी (Land Sank 70 Feet Deep) धंस गई, (Land collapsed in Bikaner) जिससे आसपास के लोगों में दहशत का माहौल बन गया।land collapsed in Bikaner

घटना की सूचना मिलते ही, SDM राजेन्द्र कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे और ड्रोन के माध्यम से पूरे क्षेत्र का वीडियोग्राफी करवाया। रिपोर्टों के अनुसार, लगभग डेढ़ बीघा जमीन (लगभग 0.6 हेक्टेयर) धंसने का अनुमान है।

लूणकरणसर में मंगलवार को हुई जमीन धंसने की घटना के बाद, थानाधिकारी धर्मवीर ने बताया कि:

  • अभी तक किसी के हताहत होने या अंदर गिरने की कोई खबर नहीं है। यह ज़मीन बारानी क्षेत्र में स्थित है और जमीन धंसने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है।
  • इस रहस्यमय घटना की तफ्तीश के लिए बीकानेर से भूवैज्ञानिकों (Geologists) की टीम को मौके पर बुलाया गया है। वे जमीन धंसने के कारणों का पता लगाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक उपायों का सुझाव देने के लिए जांच कर रहे हैं।
  • धर्मवीर ने बताया कि जमीन धंसने के कारणों का पता लगाने के लिए गहन जांच की जा रही है। इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है, लेकिन भूवैज्ञानिक जल्द से जल्द निष्कर्ष निकालने का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने ग्रामीणों से आग्रह किया कि वे धंसी हुई जगह से दूर रहें और किसी भी संभावित खतरे से बचने के लिए अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें।

Questions regards land collapsed in Bikaner: bikaner me jamin dhasi

यह घटना कई सवाल खड़े करती है।

  • क्या जमीन के नीचे कोई गुफा या प्राचीन अवशेष हैं?
  • क्या यह भूगर्भीय गतिविधियों का संकेत है?

भूवैज्ञानिकों की जांच के बाद ही इन सवालों के जवाब मिल पाएंगे।

जहां जमीन धंसी है, वहां पहले बिजली गिरने और भूमिगत जल प्रवाह जैसी संभावनाओं को लेकर चर्चाएं हैं। हालांकि, अभी तक जमीन धंसने के निश्चित कारणों का पता नहीं चल पाया है।

गौरतलब है कि बीकानेर में पहले भी जमीन धंसने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से सक्रिय नहीं है, इसलिए इस तरह की घटनाएं और भी रहस्यमय लगती हैं।

यह घटना निश्चित रूप से चिंता का विषय है, और भूवैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन से हमें इस क्षेत्र की भूगर्भिक संरचना और भविष्य में संभावित खतरों के बारे में बेहतर जानकारी मिलने की उम्मीद है।

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