बिहू त्योहार: रंगारंग और खुशियों से भरपूर त्योहार, भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में मनाया जाता है। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि पूरे साल में तीन बार मनाए जाने वाला त्योहारों का एक समूह है, जो कृषि चक्र को दर्शाता है।

बिहू त्योहार के मुख्य आकर्षण:

  • नृत्य और गायन: बिहू नृत्य और गीत, त्योहार का एक अभिन्न हिस्सा हैं। रंगोली बिहू के दौरान, ‘धोमा’ (पुरुषों का नृत्य) और ‘गोरों’ (महिलाओं का नृत्य) जैसे पारंपरिक नृत्यों का प्रदर्शन किया जाता है।
  • भोज: त्योहार के दौरान, लोग पारंपरिक असमिया व्यंजनों का आनंद लेते हैं, जिसमें ‘लारु’, ‘खिचड़ी’, ‘मांस’ और ‘मछली’ शामिल हैं।
  • खेल: ‘पोनी दौड़’, ‘भैंस लड़ाई’ और ‘तग-ऑफ़-वार’ जैसे पारंपरिक खेलों का आयोजन किया जाता है।
  • उपहार: त्योहार के दौरान लोग एक दूसरे को ‘गमछा’ (पारंपरिक स्कार्फ) और मिठाई उपहार में देते हैं।

बिहू त्योहार साल में तीन बार मनाया जाता है:

यह त्योहार कृषि, प्रकृति और जीवन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

तीनों बिहू उत्सवों के नाम और उनका महत्व इस प्रकार हैं:

  • रोंगाली बिहू (बोहाग बिहू): यह वसंत ऋतु का त्योहार है, जो नए साल की शुरुआत और फसल कटाई का प्रतीक है। यह आमतौर पर अप्रैल महीने में मनाया जाता है।
  • कटिया बिहू (कोंगाली बिहू): यह पतझड़ ऋतु का त्योहार है, जो बुवाई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। यह आमतौर पर अक्टूबर महीने में मनाया जाता है।
  • माघ बिहू (भोगाली बिहू): यह सर्दियों का त्योहार है, जो फसल कटाई के मौसम के अंत का प्रतीक है। यह आमतौर पर जनवरी महीने में मनाया जाता है।
    1. बोहाग बिहू (रोंगाली बिहू)

      बोहाग बिहू, जिसे रोंगाली बिहू या हतबिहू के नाम से भी जाना जाता है, असम और उत्तर-पूर्वी राज्यों में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह असमी नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।

      रोंगाली बिहू को फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो नृत्य, संगीत और दावतों से भरपूर होता है। यह आमतौर पर 13 अप्रैल को पड़ता है और सात दिनों तक चलता है।

      बोहाग बिहू (रोंगाली बिहू)

रोंगाली बिहू के कुछ प्रमुख पहलू हैं:

      • पूजा: पहले दिन मवेशियों को नदी में स्नान कराया जाता है और उनका सम्मान किया जाता है।
      • हुसोरी: पारंपरिक पोशाक पहने युवाओं के समूह ढोल की थाप पर नाचते गाते हैं।
      • भोज: लजीज असमिया व्यंजनों का आनंद लिया जाता है।
      • गमछा: रंगीन गमछों का आदान-प्रदान किया जाता है।

रोंगाली बिहू असम के लोगों के लिए खुशी और उल्लास का त्योहार है। यह प्रकृति, फसल और नए साल का स्वागत करने का एक उत्सव है।

  1. माघ बिहू (या भोगाली बिहू)

    माघ बिहू, जिसे भोगाली बिहू के नाम से भी जाना जाता है, असम और कुछ अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह फसल कटाई का त्योहार है, जो समृद्धि और धन्यवाद का प्रतीक है। यह आमतौर पर जनवरी के मध्य में मनाया जाता है और 7 दिनों तक चलता है।

    उत्सव का महत्व:

    माघ बिहू, प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है, जो कृषि पर निर्भर समुदायों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह फसल कटाई के मौसम के अंत का प्रतीक है, और लोग अपनी मेहनत और प्रकृति के आशीर्वाद के लिए धन्यवाद देते हैं।

    उत्सव के मुख्य आकर्षण:

    • भोज: त्योहार के दौरान, लोग पारंपरिक असमिया व्यंजनों का आनंद लेते हैं, जिसमें लजीज व्यंजन जैसे ‘लारु’, ‘खिचड़ी’, ‘मांस’ और ‘मछली’ शामिल हैं।
      माघ बिहू भोज
    • मेजी: घरों के सामने ‘मेजी’ नामक एक विशाल अलाव जलाया जाता है, जो समृद्धि और खुशी का प्रतीक है। लोग अलाव के चारों ओर इकट्ठा होते हैं, नृत्य करते हैं, गाते हैं और भोजन का आनंद लेते हैं।
      माघ बिहू मेज़ी
    • गायन और नृत्य: त्योहार में पारंपरिक बिहू नृत्य और गीतों का प्रदर्शन किया जाता है।
    • खेल: ‘पोनी दौड़’, ‘भैंस लड़ाई’ और ‘तग-ऑफ़-वार’ जैसे पारंपरिक खेलों का आयोजन किया जाता है।
    • उपहार: त्योहार के दौरान लोग एक दूसरे को ‘गमछा’ (पारंपरिक स्कार्फ) और मिठाई उपहार में देते हैं।
  2. काती बिहू (या कोंगाली बिहू)

    काती बिहू, जिसे कोंगाली बिहू के नाम से भी जाना जाता है, असम और कुछ अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह बुवाई का त्योहार है, जो नए कृषि चक्र की शुरुआत का प्रतीक है। यह आमतौर पर अक्टूबर के मध्य में मनाया जाता है और 5 दिनों तक चलता है।

    काती बिहू (या कोंगाली बिहू)

    उत्सव का महत्व:

    काती बिहू, कृषि समुदायों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह मानसून के मौसम के अंत और बुवाई के समय का प्रतीक है। लोग प्रकृति के आशीर्वाद और आगामी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं।

    उत्सव के मुख्य आकर्षण:

    • नृत्य और गायन: त्योहार में पारंपरिक बिहू नृत्य और गीतों का प्रदर्शन किया जाता है।
    • भोज: लोग पारंपरिक असमिया व्यंजनों का आनंद लेते हैं, जिसमें ‘खिचड़ी’, ‘लाल चावल’, ‘मांस’ और ‘मछली’ शामिल हैं।
    • प्रार्थना: लोग अपने खेतों में ‘कठिया’ (एक प्रकार का बांस का ढांचा) बनाते हैं और देवी-देवताओं से प्रार्थना करते हैं।
    • खेल: ‘मुर्ग़ा लड़ाई’, ‘तग-ऑफ़-वार’ और ‘हाथी दौड़’ जैसे पारंपरिक खेलों का आयोजन किया जाता है।
    • उपहार: त्योहार के दौरान लोग एक दूसरे को ‘गमछा’ (पारंपरिक स्कार्फ) और मिठाई उपहार में देते हैं।

प्रत्येक बिहू उत्सव की अपनी अनूठी परंपराएं और रीति-रिवाज होते हैं। इन तीनों में से बोहाग बिहू सबसे ज्यादा खुशियों वाला होता है, जिसमें दावत, गायन, नृत्य और रंगीन लोक प्रदर्शन शामिल होते हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं, दोस्तों और परिवार से मिलते हैं और खेलों एवं प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।

आइए बिहू त्योहारों की कुछ प्रमुख विशेषताओं को जानें:

बिहू नृत्य:

बिहू नृत्य, असम और कुछ अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में मनाए जाने वाले प्रसिद्ध बिहू त्योहारों का एक अभिन्न हिस्सा है। यह नृत्य, जीवंत ऊर्जा, उत्साह और रंगों से भरपूर होता है।बिहू नृत्य

बिहू नृत्य के प्रकार:

  1. पुरुषों का बिहू नृत्य:

    पुरुषों का बिहू नृत्य (जिसे धोमा या हुसोरि भी कहा जाता है) असम और कुछ अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में मनाए जाने वाले प्रसिद्ध बिहू त्योहारों का एक प्रमुख हिस्सा है। यह नृत्य ऊर्जावान, गतिशील और मर्दाना ताकत का प्रदर्शन है।

    पोशाक: पुरुष पारंपरिक असमिया धोती और गमछा पहनते हैं। धोती एक सफेद रंग का कपड़ा होता है जिसे कमर के चारों ओर लपेटा जाता है, जबकि गमछा एक रंगीन स्कार्फ होता है जिसे कंधों पर या कमर के चारों ओर पहना जाता है।

    नृत्य: पुरुष ढोल की थाप पर, ऊर्जावान ताल पर नाचते हैं। नृत्य में पैरों की तेज़ गति, हाथों की मुद्राएं और शरीर के झुकाव शामिल होते हैं। पुरुष अक्सर अपने हाथों में तलवार या ढाल जैसे हथियार भी रखते हैं।

    प्रदर्शन: नृत्य आमतौर पर एक खुले क्षेत्र में किया जाता है, जहां दर्शक एकत्र होते हैं। पुरुष एक लाइन में या एक सर्कल में नृत्य करते हैं, और वे अक्सर एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं।

    अर्थ: पुरुषों का बिहू नृत्य शक्ति, साहस और युद्ध कौशल का प्रतीक है। यह अच्छे और बुरे पर विजय का भी प्रतीक है।

    महत्व: पुरुषों का बिहू नृत्य असमिया संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक ऐसा नृत्य है जो पुरुषत्व और वीरता का जश्न मनाता है।

    पुरुषों का बिहू नृत्य
  2. महिलाओं का बिहू नृत्य:

    महिलाओं का बिहू नृत्य, असम और कुछ अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में मनाए जाने वाले प्रसिद्ध बिहू त्योहारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह नृत्य लालित्य, अनुग्रह और स्त्रीत्व का प्रतीक है।

    पोशाक:

    महिलाएं पारंपरिक असमिया मेखला चादर पहनती हैं। मेखला एक रंगीन स्कर्ट होती है जिसे कमर के चारों ओर पहना जाता है, जबकि चादर एक सफेद या रंगीन दुपट्टा होता है जिसे कंधों पर या सिर पर पहना जाता है।

    नृत्य:

    महिलाएं ढोल की थाप पर, धीमी और लयात्मक ताल पर नाचती हैं। नृत्य में हाथों की मुद्राएं, शरीर के झुकाव और पैरों की गति शामिल होती हैं। महिलाएं अक्सर अपने हाथों में फूल या पत्ते भी रखती हैं।

    प्रदर्शन:

    नृत्य आमतौर पर एक खुले क्षेत्र में किया जाता है, जहां दर्शक एकत्र होते हैं। महिलाएं एक लाइन में या एक सर्कल में नृत्य करती हैं, और वे अक्सर एक दूसरे के साथ तालमेल बिठाती हैं।

    अर्थ:

    महिलाओं का बिहू नृत्य प्रकृति, सुंदरता और स्त्रीत्व का प्रतीक है। यह प्रजनन और जीवन के चक्र का भी प्रतीक है।

    महत्व:

    महिलाओं का बिहू नृत्य असमिया संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक ऐसा नृत्य है जो स्त्रीत्व और लालित्य का जश्न मनाता है।

    महिलाओं का बिहू नृत्य
  3. युगल बिहू नृत्य:

    युगल बिहू नृत्य, असम और कुछ अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में मनाए जाने वाले प्रसिद्ध बिहू त्योहारों का एक विशेष नृत्य है। यह नृत्य प्रेम, सौहार्द और सामाजिक बंधन का प्रतीक है।

    विशेषताएं:

    • पुरुष और महिला दोनों द्वारा प्रस्तुत: युगल बिहू नृत्य में, पुरुष और महिला दोनों समान रूप से भाग लेते हैं।
    • पोशाक: युगल जोड़े पारंपरिक असमिया वेशभूषा पहनते हैं, जिसमें पुरुष धोती और गमछा पहनते हैं और महिलाएं मेखला चादर पहनती हैं।
    • नृत्य: नृत्य ढोल की थाप पर किया जाता है, जिसमें मध्यम गति और लय होती है। पुरुष और महिलाएं एक दूसरे के साथ तालमेल बिठाते हुए, हाथों की मुद्राएं, शरीर के झुकाव और पैरों की गति का प्रदर्शन करते हैं।
    • अर्थ: युगल बिहू नृत्य प्रेम, प्रणय और सामाजिक बंधन का प्रतीक है। यह पुरुष और महिला के बीच समानता और सद्भाव का भी प्रतिनिधित्व करता है।
    • महत्व: युगल बिहू नृत्य असमिया संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक ऐसा नृत्य है जो प्रेम, सौहार्द और सामाजिक एकता का जश्न मनाता है।
    युगल बिहू नृत्य
  • पोशाक: बिहू नृत्य के लिए, पुरुष और महिलाएं पारंपरिक असमिया वेशभूषा पहनते हैं। पुरुष धोती और गमछा पहनते हैं, जबकि महिलाएं मेखला चादर पहनती हैं।
  • संगीत: बिहू नृत्य ढोल, पीपली, बांसुरी और ताल जैसे पारंपरिक असमिया वाद्ययंत्रों की थाप पर किया जाता है।
  • आंदोलन: बिहू नृत्य में पैरों की तेज़ गति, हाथों की मुद्राएं और शरीर के झुकाव शामिल होते हैं।
  • भावना: बिहू नृत्य खुशी, उत्साह और जीवन के प्रति आनंद व्यक्त करता है।

बिहू नृत्य का महत्व:

बिहू नृत्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। यह असमिया संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। बिहू नृत्य कृषि, प्रकृति और जीवन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका भी है।

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