Bonn Convention: प्रकृति ने हमें अनेक अद्भुत नज़ारे प्रदान किए हैं, जिनमें से एक है प्रवासीय पक्षियों का आकाश में लंबी दूरी तय करना। ये पक्षी भोजन और प्रजनन के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर सालाना प्रवास करते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, मानवीय गतिविधियों के कारण इन प्रवासीय प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। इसी खतरे को ध्यान में रखते हुए 1979 में “प्रवासीय जंगली जीवों के संरक्षण हेतु सम्मेलन” अस्तित्व में आया। इसे “बॉन सम्मेलन” के नाम से भी जाना जाता है।
Bonn Convention का उद्देश्य (Convention on the Conservation of Migratory Species of Wild Animals Objective)
Convention on the Conservation of Migratory Species of Wild Animals: यह अंतर्राष्ट्रीय संधि प्रवासीय जंगली जीवों के संरक्षण और उनके आवासों के अनुरक्षण के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करती है। इसका मुख्य उद्देश्य है:
- प्रवासीय प्रजातियों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
- इन प्रजातियों के आवासों की रक्षा करना और उनके प्रवास मार्गों को सुरक्षित बनाना।
- शिकार, अवैध व्यापार और आवास विनाश को रोकना।
- प्रवासीय प्रजातियों के अनुसंधान और निगरानी को बढ़ावा देना।
Bonn Convention सम्मेलन कैसे कार्य करता है
सम्मेलन किसी बाध्यकारी समझौते के बजाय सहयोगात्मक ढांचे के रूप में कार्य करता है। सदस्य देश प्रवासीय प्रजातियों के संरक्षण के लिए कार्य योजनाएं विकसित करते हैं। ये कार्य योजनाएं प्रजातियों के विशिष्ट खतरों को लक्षित करती हैं और उन खतरों को कम करने के लिए ठोस कदम उठाती हैं।
सम्मेलन में दो परिशिष्ट (परिशिष्ट I और परिशिष्ट II) शामिल हैं, जिनमें विभिन्न प्रवासीय प्रजातियाँ सूचीबद्ध हैं।
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परिशिष्ट I: इन प्रजातियों को उनके अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा माना जाता है। सम्मेलन के सदस्य देशों को इन प्रजातियों के लिए सख्त सुरक्षा उपाय करने की आवश्यकता होती है।
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परिशिष्ट II: इन प्रजातियों को प्रतिकूल संरक्षण स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। सदस्य देश इन प्रजातियों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
सम्मेलन में भारत की भूमिका
भारत बॉन सम्मेलन का एक पक्ष देश है। भारत में कई प्रवासीय पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें साइबेरियन क्रेन, बार headed goose और कॉमन क्रेन शामिल हैं। भारत ने इन प्रजातियों के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों का निर्माण, शिकार पर रोक और जागरूकता अभियान चलाना।
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