खबरों के अनुसार, भारत सरकार अगले लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू करने की तैयारी में है। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने पहले ही सीएए के तहत आवेदनों को स्वीकार करने के लिए एक वेब पोर्टल तैयार कर लिया है।
यह पोर्टल मार्च 2024 तक चालू हो जाएगा, और पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोग इस पोर्टल के माध्यम से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे।
सीएए को 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया था, लेकिन तब से इसे लागू करने के लिए नियमों को अधिसूचित नहीं किया गया था। सरकार ने कहा था कि वह सीएए के तहत नियमों को अधिसूचित करने से पहले सभी हितधारकों से विचार-विमर्श करेगी।
सरकार ने कहा है कि सीएए किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता को छीनने वाला नहीं है। यह कानून केवल उन लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए है जो भारत में रह रहे हैं और जिन्हें अपने मूल देशों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।
यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:
- यह खबर अभी तक पुष्टि नहीं हुई है और सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
- सीएए को लेकर विवाद अभी भी जारी है।
- सीएए के नियमों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
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What is the Citizenship Amendment Act (CAA)?: नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) क्या है?
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 भारत में पारित एक विवादास्पद कानून है। इसका उद्देश्य पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिक्ख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करना आसान बनाना है।
कानून के अनुसार, ये समुदाय के लोग जो:
- 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे।
- धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे थे।
वे भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र हैं। हालांकि, मुस्लिम समुदाय को इस अधिनियम में शामिल नहीं किया गया है।
सीएए के समर्थकों का तर्क है कि यह कानून उन अल्पसंख्यक समुदायों की रक्षा करता है जिन्हें अपने पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि यह कानून किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं छीनता है।
हालांकि, सीएए के विरोधियों का तर्क है कि यह कानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है और भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। उनका कहना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण है और भारत की धर्मनिरपेक्षता को कमजोर करता है।
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सीएए के लागू होने से इन समुदायों के लाखों लोगों को लाभ होगा जो भारत में रह रहे हैं लेकिन अभी तक भारतीय नागरिक नहीं हैं।
सीएए 2019 के पारित होने के बाद से ही देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए हैं। कई राज्यों ने इस कानून को लागू करने से इनकार कर दिया है।
सीएए को लेकर कानूनी लड़ाई भी चल रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने अभी तक इस मामले में अंतिम फैसला नहीं सुनाया है।