Government of Rajasthan पर 10 लाख रुपये जुर्माना: गरीब मजदूर को परेशान करने पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख, सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार पर एक गरीब मजदूर को प्रताड़ित करने के लिए भारी जुर्माना लगाया है। मजदूर को श्रम न्यायालय के फैसले का लाभ पाने के लिए कई सालों तक लड़ाई लड़नी पड़ी।
मामला क्या था :
- एक अंशकालिक मजदूर को श्रम न्यायालय ने 2001 में ही लाभ दिया था।
- इसके बावजूद, राजस्थान सरकार लगातार इस फैसले को चुनौती देती रही, जिससे मजदूर को बार-बार अदालतों का चक्कर लगाना पड़ा।
- सुप्रीम कोर्ट ने इसे “पूरी तरह से तुच्छ याचिका” माना और सरकार को मजदूर को 10 लाख रुपये जुर्माना देने का आदेश दिया।
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Government of Rajasthan पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:
- “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि Government of Rajasthan पर पिछले 22 वर्षों से एक गरीब मजदूर को परेशान कर रही है, जिसे श्रम न्यायालय ने पहले ही लाभ दिया था।”
- “यह न्याय प्रणाली का दुरुपयोग है और ऐसे गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
अतिरिक्त जानकारी:
- इस मामले में मजदूर के वकील का नाम केतन पॉल था।
- श्रम न्यायालय के आदेश में मजदूर को नियमितीकरण और अतिरिक्त लाभ दिए जाने का निर्देश दिया गया था।
- मजदूर को 1 मई, 1993 को अंशकालिक कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन उसकी सेवाएं 3 जुलाई, 1994 को समाप्त कर दी गईं।
मुख्य बिंदु:
- सुप्रीम कोर्ट ने गरीब मजदूर को प्रताड़ित करने के लिए राजस्थान सरकार पर जुर्माना लगाया।
- यह फैसला न्याय प्रणाली के दुरुपयोग के खिलाफ एक मजबूत संदेश है।
- यह फैसला गरीबों और कमजोर लोगों के लिए न्याय पाने की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला गरीबों और कमजोर लोगों के लिए न्याय पाने की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। यह फैसला सरकारों को भी जवाबदेह ठहराता है और उन्हें ऐसी हरकतों से दूर रहने की चेतावनी देता है।
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