United Nations महासचिव एंटोनियो गुटेर्रेस ने सोशल मीडिया को इस्लामोफोबिया या मुस्लिम विरोधी नफरत के बढ़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नफरत और विभाजनकारी बयानबाजी फैलाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं, जिसके कारण मुस्लिम समुदायों को खतरा महसूस हो रहा है।
UN चीफ ने क्या कहा: UN Chief on Islamophobia
- गुटेर्रेस ने कहा, “सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मुस्लिमों के खिलाफ नफरत और हिंसा भड़काने वाली सामग्री तेजी से बढ़ रही है। यह नफरत वास्तविक दुनिया में हिंसा और भेदभाव का कारण बन रही है।”
- उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया कंपनियों को इस नफरत को फैलने से रोकने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्हें अपनी प्लेटफॉर्म पर मुस्लिम समुदायों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।”
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Social media: Islamophobia के बढ़ने का कारण
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मुस्लिमों के खिलाफ नफरत और हिंसा भड़काने वाली सामग्री तेजी से बढ़ रही है।
- कुछ राजनीतिक नेता और मीडिया संगठन मुस्लिम समुदायों के खिलाफ नकारात्मक छवि बनाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं।
- कुछ लोग इस्लाम के बारे में गलत जानकारी और अफवाहें फैला रहे हैं, जिसके कारण मुस्लिम समुदायों के प्रति नफरत बढ़ रही है।
इस्लामोफोबिया के प्रभाव: Effects of Islamophobia:
- मुस्लिम समुदायों को खतरा महसूस हो रहा है।
- मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव बढ़ रहा है।
- मुस्लिम समुदायों को सामाजिक और आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है।
क्या किया जा सकता है:
- सोशल मीडिया कंपनियों को नफरत और हिंसा भड़काने वाली सामग्री को हटाने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
- सरकारों को मुस्लिम समुदायों के खिलाफ नफरत और भेदभाव को रोकने के लिए कानून बनाने की आवश्यकता है।
- शिक्षा और जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को इस्लाम के बारे में सही जानकारी देने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष:
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मुस्लिमों के खिलाफ नफरत और हिंसा भड़काने वाली सामग्री तेजी से बढ़ रही है। यह नफरत वास्तविक दुनिया में हिंसा और भेदभाव का कारण बन रही है। सोशल मीडिया कंपनियों, सरकारों और नागरिक समाज को इस नफरत को रोकने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।