22 फरवरी 2024 को दिन भर पुष्य नक्षत्र (Pushya Nakshatra) रहेगा। यह नक्षत्र सभी 27 नक्षत्रों में राजा माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में, गुरु पुष्य योग को महामुहूर्त कहा जाता है। इस दिन किए गए कार्यों में सफलता और समृद्धि की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

पुष्य नक्षत्र का महत्व:Pushya Nakshatra

  • शुभ कार्यों के लिए: पुष्य नक्षत्र को नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन गृह प्रवेश, शिक्षा प्रारंभ, व्यवसायिक शुरुआत आदि कार्य किए जा सकते हैं।
  • खरीदारी के लिए: पुष्य नक्षत्र खरीदारी के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन सोना, चांदी, वाहन, भूमि, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि खरीदना लाभदायक माना जाता है।
  • आध्यात्मिक कार्यों के लिए: पुष्य नक्षत्र धार्मिक कार्यों के लिए भी शुभ माना जाता है। इस दिन दान-पुण्य, पूजा-पाठ, मंत्र जाप आदि करना फलदायी माना जाता है।

22 फरवरी 2024 को पुष्य नक्षत्र का समय:

  • शुरुआत: 22 फरवरी 2024, सुबह 6:54 बजे
  • समाप्ति: 22 फरवरी 2024, शाम 4:43 बजे

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गुरु पुष्य योग: क्या होता है? Guru pushya yog

ज्योतिष शास्त्र में, गुरु पुष्य योग को महामुहूर्त माना जाता है। यह योग तब बनता है जब बृहस्पति (गुरु) ग्रह पुष्य नक्षत्र में होता है। यह योग अत्यंत शुभ माना जाता है और इस दिन किए गए कार्यों में सफलता और समृद्धि की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।Pushya nakshatra

गुरु पुष्य योग के दिन किए जाने वाले कुछ शुभ कार्य:

  • नए व्यवसाय की शुरुआत
  • नया घर खरीदना या गृह प्रवेश करना
  • नया वाहन खरीदना
  • विवाह
  • शिक्षा प्रारंभ
  • धार्मिक कार्य
  • दान-पुण्य
  • मंत्र जापDo's on guru pushya nakshatra

गुरु पुष्य योग में क्या-क्या करे:

  • सुबह जल्दी उठें: गुरु पुष्य योग में सुबह जल्दी उठना शुभ माना जाता है।
  • स्नान करें: स्नान करने से शरीर और मन शुद्ध होता है।
  • पूजा करें: गुरु पुष्य योग में भगवान शिव, भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की पूजा करना शुभ माना जाता है।
  • दान करें: गुरु पुष्य योग में दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आप गरीबों को दान कर सकते हैं या किसी धार्मिक संस्था को दान कर सकते हैं।
  • शुभ कार्य करें: गुरु पुष्य योग में नए कार्यों की शुरुआत करना शुभ माना जाता है। आप इस दिन नया व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, नया घर खरीद सकते हैं, या नया वाहन खरीद सकते हैं।
  • सकारात्मक सोचें: गुरु पुष्य योग में सकारात्मक सोच रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। नकारात्मक विचारों से बचें।
  • शांत रहें: गुरु पुष्य योग में शांत रहना और क्रोध से बचना शुभ माना जाता है।
  • मंत्र जाप करें: गुरु पुष्य योग में मंत्र जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आप गुरु गायत्री मंत्र या महा मृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं।

गुरु पुष्य योग पूजा की तैयारी:

  • पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण करें.
  • स्नान करके स्वच्छ हो जाएं.
  • पूजा स्थान को साफ करें और गंगाजल छिड़कें.
  • एक चौकी पर लाल या पीला आसन बिछाएं.
  • भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.
  • दीपक, अगरबत्ती, धूप, चावल, फल, फूल, सिंदूर, रोली, जल का पात्र, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर का मिश्रण) और खील (बिना छिलके वाला चावल) इत्यादि रखें.

गुरु पुष्य योग पूजा विधि:

  1. सबसे पहले भगवान गणेश को सिंदूर, रोली और दूर्वा चढ़ाकर पूजा करें.
  2. इसके बाद मां लक्ष्मी की प्रतिमा को स्नान कराएं.
  3. फिर मां लक्ष्मी को सिंदूर, रोली, हल्दी, इत्र, आभूषण आदि चढ़ाएं.
  4. दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं.
  5. मंत्रों का जाप करें. आप “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” अथवा “ॐ नमो भाग्यवते श्री लक्ष्मी नारायणाय नमः” का जाप कर सकते हैं.
  6. पुष्प अर्पित करें और फल चढ़ाएं.
  7. पंचामृत का भोग लगाएं.
  8. खीर  से मां लक्ष्मी का अभिषेक करें.
  9. “धन धान्य समृद्धि देवि, सर्वत्र विजयी करो, गुरु पुष्य योग के प्रभाव से, सुख समृद्धि भर दो”
  10. आरती करें और पूजा का समापन करें.

गुरु पुष्य योग में कुछ महत्वपूर्ण बातें:

  • गुरु पुष्य योग: 22 फरवरी 2024 को गुरु पुष्य योग भी बन रहा है। यह योग अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • नक्षत्र स्वामी: पुष्य नक्षत्र का स्वामी बृहस्पति ग्रह है।
  • देवता: पुष्य नक्षत्र के देवता ब्रह्मा जी हैं।

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पुष्य नक्षत्र पर शादियां क्यों नहीं होती हैं?

  • पहला कारण यह है कि यह माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र ब्रह्मा जी का नक्षत्र है। ब्रह्मा जी को ब्रह्मांड के निर्माता के रूप में जाना जाता है और उन्हें एक मांगलिक देवता नहीं माना जाता है। इसलिए, यह माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र में शादी करना मांगलिक नहीं है।
  • दूसरा कारण, पुष्य नक्षत्र चंद्रमा से शासित होता है। चंद्रमा को एक चंचल ग्रह माना जाता है और यह माना जाता है कि इससे जीवन में अस्थिरता और अप्रत्याशित बदलाव आ सकते हैं। इसलिए, यह माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र में शादी करना जीवन में अस्थिरता और अप्रत्याशित बदलाव ला सकता है।
  • तीसरा कारण, पुष्य नक्षत्र पितृ दोष से जुड़ा हुआ है। पितृ दोष एक दोष है जो किसी व्यक्ति को उसके पूर्वजों के कर्मों के लिए मिलता है। यह माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र में शादी करने से पितृ दोष बढ़ सकता है।
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