Sheetala Ashtami: शीतला पूजा (Sheetala Puja), जिसे शीतला सप्तमी (Sheetala Saptami) और शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami) के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह शीतला माता को समर्पित है, जिन्हें चेचक, खसरा, बुखार जैसी बीमारियों से रक्षा करने वाली देवी मानी जाती हैं।

यह पूजा मुख्य रूप से दो दिनों में मनाई जाती है: 

  • शीतला सप्तमी (Sheetala Saptami): होली के बाद सातवें दिन (चैत्र माह में) पड़ती है। 2024 में कुछ लोग तिथि के आधार पर इसे 31 मार्च को मान रहे हैं, वहीं कुछ लोग चंद्रोदय के आधार पर 1 अप्रैल को मान रहे हैं।
  • शीतला अष्टमी ((Sheetala Ashtami): चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पड़ती है। 2024 में यह तिथि 2 अप्रैल को पड़ रही है।

शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त: Sheetala Puja 2024 Muhurta

  • अष्टमी तिथि का प्रारंभ: 1 अप्रैल 2024, रात 11:53 बजे
  • अष्टमी तिथि का समापन: 2 अप्रैल 2024, रात 10:24 बजे
  • पूजा का शुभ मुहूर्त: 2 अप्रैल 2024, सुबह 10:25 बजे से दोपहर 12:11 बजे तक

    Sheetala Ashtami
    मां शीतला: Sheetala Mata

पूजा विधि (स्थानीय परंपराओं के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकती है): Sheetala Puja Vidhi

  1. स्नान और साफ-सफाई: पूजा से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा की सामग्री: दीपक, अगरबत्ती, फूल, फल, ठंडे भोजन का प्रसाद (दलिया, मीठा भात आदि), नीम के पत्ते आदि।
  3. कलश स्थापना: घर के पूजा स्थल पर मिट्टी या धातु का कलश स्थापित करें और उसमें जल भरकर आम के पत्ते से ढक दें।
  4. आवाहन और पूजन: शीतला माता का आह्वान करें और उन्हें पूजा सामग्री अर्पित करें।
  5. कथा: शीतला माता की कथा सुनें।
  6. आरती: शीतला माता की आरती करें।
  7. भोग: शीतला माता को ठंडे भोजन का भोग लगाएं। कुछ स्थानों पर बासौड़ा के रूप में रात का बचा हुआ भोजन ग्रहण करने की परंपरा है।
  8. विसर्जन: पूजा के उपरांत कलश का विसर्जन करें

शीतला सप्तमीःSheetala Saptami

शीतला सप्तमी (Sheetala Saptami) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे होली के बाद सातवें दिन (सप्तमी) चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) में मनाया जाता है। यह शीतला माता को समर्पित है, जिन्हें चेचक, खसरा और अन्य बीमारियों को दूर करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है।

  • इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और शीतला माता से अच्छे स्वास्थ्य और बीमारियों से बचाव के लिए प्रार्थना करते हैं। साथ ही, उन्हें ठंडे पदार्थ और पेय पदार्थ जैसे नीम की पत्तियां, दलिया और ठंडा शरबत भी चढ़ाते हैं।
  • Sheetala Saptami 2024 Date: शीतला सप्तमी की तिथि को लेकर थोड़ा मतभेद है। कुछ लोग चंद्र दिवस (तिथि) को मानते हैं, वहीं कुछ लोग चंद्रोदय (उदयातिथि) को मानते हैं। 2024 में, कुछ लोग 31 मार्च को पड़ने वाली सप्तमी तिथि को मान रहे हैं, जबकि अन्य लोग 1 अप्रैल को पड़ने वाली उदयातिथि को मान रहे हैं।

शीतला अष्टमी: Sheetala Ashtami

शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami), जिसे बासौड़ा के नाम से भी जाना जाता है, शीतला माता को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है यह चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है

  • Sheetala Ashtami 2024 Date: इस साल शीतला अष्टमी 2 अप्रैल 2024 को पड़ रही है
  • शीतला अष्टमी के खास पहलुओं में से एक है मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाना इसे ही बासौड़ा कहा जाता है. इस दिन लोग बासी खाना ही प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं
  • कुछ मान्यताओं के अनुसार, शीतला अष्टमी के बाद से बासी खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि मौसम बदल रहा होता है और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना ज़रूरी होता है

शीतला माता की कृपा पाने के लिए आप व्रत भी रख सकते हैं।

शीतला व्रत: बासौड़ा Sheetala Vrata: Basoda

शीतला व्रत (Sheetala Vrata), जिसे बासौड़ा के नाम से भी जाना जाता है, शीतला अष्टमी के अवसर पर किया जाने वाला एक हिंदू धार्मिक व्रत है। यह व्रत मुख्य रूप से चैत्र माह ( मार्च-अप्रैल) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया जाता है।

शीतला माता को चेचक, खसरा, बुखार जैसी बीमारियों से बचाने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। इस व्रत को करने से आप इन बीमारियों से सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं तथा घर-परिवार में सुख-शांति का आशीर्वाद भी मिलता है।

शीतला व्रत के कुछ मुख्य पहलू:

  • व्रत का संकल्प: शीतला सप्तमी (या कुछ जगहों पर अष्टमी से पहले) के दिन व्रत का संकल्प लिया जाता है।
  • सात्विक भोजन: व्रतधारी को पूरे दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। मांस, मछली, अंडे, लहसुन, प्याज आदि का सेवन वर्जित होता है।
  • बासौड़ा का प्रसाद: शीतला अष्टमी के दिन एक दिन पहले बना हुआ भोजन (बासी भोजन) का ही सेवन किया जाता है। इसे ही बासौड़ा कहा जाता है। मीठा भात, दाल, पूरिया, सब्जी आदि का भोजन बनाकर रात के लिए रख लिया जाता है और अगले दिन प्रसाद के रूप में शीतला माता को अर्पित किया जाता है। इसके बाद यही भोजन व्रतधारी और परिवार के लोग ग्रहण करते हैं।
  • पूजा-अर्चना: शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा में शीतला माता को ठंडे पदार्थ जैसे दही, खीर, जल आदि चढ़ाए जाते हैं।

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