भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आज गुरुवार, 15 फरवरी 2024 को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए electoral bonds scheme को असंवैधानिक करार दिया है। पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया कि यह स्कीम सूचना के अधिकार और पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है।

What is electoral bond scheme? (क्या है चुनावी बॉन्ड स्कीम?):

What is electoral bond scheme
What is electoral bond scheme

 electoral bonds scheme को केंद्र सरकार ने 2017 में चुनावों में फंडिंग को पारदर्शी और हवाला मुक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू किया था। इस स्कीम के तहत चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए बॉन्ड किसी भी बैंक से खरीदे जा सकते थे और इनका इस्तेमाल राजनीतिक दलों को दान देने के लिए किया जा सकता था। बॉन्ड खरीदने वाले और दान देने वाले का नाम गुप्त रहता था।

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electoral bond scheme क्यों अंसवैधानिक घोषित हुआ?:

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला ( electoral bonds scheme) इस आधार पर सुनाया कि चुनावी बॉन्ड स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है। चूंकि बॉन्ड खरीदने और दान देने वाले का नाम गुप्त रहता है, इसलिए यह पता लगाना मुश्किल है कि राजनीतिक दलों को कौन फंडिंग कर रहा है। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलने का खतरा रहता है।

इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि यह स्कीम पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है। राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दलों को किस तरह का और कहां से पैसा मिल रहा है। गुमनाम दान की व्यवस्था से दलों की जवाबदेही कम हो जाती है।

फैसले का भारतीय राजनीति असर :

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का भारतीय राजनीति पर दूरगामी असर पड़ेगा। अब सरकार को चुनावों में फंडिंग को विनियमित करने के लिए एक नया तरीका ढूंढना होगा जो संविधान के अनुरूप हो।

यह फैसला उन लोगों के लिए भी एक जीत है जो राजनीति में अधिक पारदर्शिता की मांग करते रहे हैं। अब यह उम्मीद की जा सकती है कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले फंड के बारे में अधिक जानकारी जनता के सामने आएगी।

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