AFSPA Act: केंद्र सरकार ने मार्च 2024 में संकेत दिया कि वह Jammu and Kashmir में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA Act) को हटाने पर विचार करेगी। गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति का आकलन करने और संभावित रूप से अधिनियम को हटाने की योजना का उल्लेख किया ।
AFSPA “अशांत” माने जाने वाले क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को विशेष शक्तियां प्रदान करता है। इन शक्तियों में बिना वारंट के तलाशी और गिरफ्तारी लेना और खास परिस्थितियों में गोली चलाना शामिल है।
यह अधिनियम विवादास्पद रहा है, कुछ का तर्क है कि यह सुरक्षा के लिए आवश्यक है, जबकि अन्य मानते हैं कि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है।
AFSPA Act क्या है? What is AFSPA Act
AFSPA full form:- Armed Forces Special Powers Act (सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम)
AFSPA का मतलब है सशस्त्र बल विशेष शक्तियाँ अधिनियम, 1958 यह भारत का एक संसदीय अधिनियम है जो “अशांत क्षेत्रों” घोषित इलाकों में भारतीय सशस्त्र बलों और राज्य और अर्धसैनिक बलों को विशेष शक्तियां प्रदान करता है।
सरल शब्दों में कहें तो, ये कानून उन इलाकों में लागू होता है जहां उपद्रव या आतंकवाद की स्थिति बनी रहती है। इस कानून के तहत सुरक्षाबलों को कई तरह की विशेष शक्तियां मिल जाती हैं, जैसे:
- बिना वारंट गिरफ्तारी करने का अधिकार
- संदिह होने पर तलाशी लेने का अधिकार
- गोलियां चलाने और बल प्रयोग करने का अधिकार (हालांकि, इसके लिए कुछ नियम हैं)
- घरों की तलाशी लेने और संपत्ति को नष्ट करने का अधिकार (कुछ स्थितियों में)
AFSPA अधिनियम भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर में लागू है। इस कानून को लेकर काफी विवाद भी है, क्योंकि कई लोगों का मानना है कि ये आम लोगों के अधिकारों का हनन करता है।
जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में AFSPA Act हटाने की मांग (AFSPA Removal Demands in Jammu and Kashmir and Northeastern States)
Jammu and Kashmir और भारत के कई पूर्वोत्तर राज्यों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 यानी AFSPA को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। इस कानून के तहत सुरक्षा बलों को व्यापक अधिकार प्राप्त हैं, जिसका हवाला देते हुए वे कई तरह के अभियान चलाते हैं। हालांकि जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न संगठनों और लोगों द्वारा लगातार इस कानून को हटाने की मांग की जा रही है।
AFSPA का विरोध क्यों? (Why Oppose AFSPA )
AFSPA के विरोध के पीछे कई तर्क हैं:
- मानवाधिकारों का उल्लंघन (Human Rights Violations): AFSPA सुरक्षा बलों को संदिग्ध व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और मारने का अधिकार देता है, जिसका दुरुपयोग हो सकता है और निर्दोष लोग भी मारे जा सकते हैं।
- न्याय मिलने में दिक्कत (Difficulty in Getting Justice): AFSPA के तहत सुरक्षाबलों पर कार्रवाई करना काफी मुश्किल है। आम लोगों के लिए उनके खिलाफ मुकदमा चलाना काफी जटिल हो जाता है।
- आतंकवाद विरोधी अभियानों में बाधा (Hinders Counter-Insurgency Efforts): कई लोगों का मानना है कि AFSPA आम लोगों को अलग-थलग कर देता है, जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उल्टा असर डालता है।
AFSPA हटाने की मांग (Demand to Remove AFSPA)
इन कारणों से जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में AFSPA को हटाने की मांग लगातार उठ रही है।
- अधिकारों का हनन (Curtailment of Rights): लोगों का कहना है कि AFSPA उन्हें उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित करता है और उन्हें असुरक्षित महसूस कराता है।
- सामान्य स्थिति बहाली (Return to Normalcy): यह माना जाता है कि AFSPA हटाने से इन क्षेत्रों में normalcy वापस लाने में मदद मिलेगी और लोगों का सुरक्षा बलों पर भरोसा बढ़ेगा।
सरकार का रुख (Government’s Stand)
सरकार का कहना है कि AFSPA आतंकवाद से निपटने के लिए जरूरी है। हालांकि कुछ इलाकों से इसे हटाया भी गया है। लेकिन जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के कुछ इलाकों में सुरक्षा स्थिति को देखते हुए इसे अभी हटाना मुश्किल बताया जाता है।
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वर्तमान में कहां लागू है AFSPA? Where is AFSPA currently applicable?
वर्तमान में AFSPA पूरे भारत में लागू नहीं है, बल्कि कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में ही लागू होता है। ये क्षेत्र मुख्य रूप से आतंकवाद या उग्रवाद से प्रभावित रहे हैं।
वर्तमान स्थिति ( मार्च 27, 2024 तक) के अनुसार, AFSPA इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के कुछ हिस्सों में लागू है:
- असम: कुछ जिले
- अरुणाचल प्रदेश: कुछ जिले
- मणिपुर: कुछ जिले (राजधानी इम्फाल के 7 क्षेत्रों को छोड़कर)
- नागालैंड: कुछ इलाके
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Jammu and Kashmir: कुछ इलाके
अतीत में, AFSPA को त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम सहित कई अन्य राज्यों में भी लागू किया गया था। हालांकि, वहां स्थिति में सुधार के बाद इसे हटा लिया गया है।