पृष्ठभूमि:
- सुप्रीम कोर्ट (SC) ने 3 मार्च 2023 को इलेक्टोरल बॉन्ड को वैध घोषित करते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
- इस फैसले के बाद, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष, विकास सिंह ने 8 मार्च 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।
- एससीबीए ने तर्क दिया था कि यह फैसला लोकतंत्र के लिए खतरा है और चुनावों में पारदर्शिता को कम करेगा।
बार एसोसिएशन की प्रतिक्रिया:
- SCBA ने अध्यक्ष के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह असंवैधानिक है और बार एसोसिएशन के अधिकारों का उल्लंघन है।
- एसोसिएशन ने कहा कि अध्यक्ष ने इस मामले पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से कोई सलाह नहीं ली और न ही कार्यकारी समिति की बैठक बुलाई।
- एससीबीए ने अध्यक्ष से इस्तीफा देने की मांग की।
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अध्यक्ष का बचाव:
- अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखने का फैसला अपनी व्यक्तिगत क्षमता में लिया था, न कि एससीबीए अध्यक्ष के रूप में।
- उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि यह फैसला गलत है और उन्होंने इसे चुनौती देने का अधिकार है।
- उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया।
विवाद:
- इस घटना ने बार एसोसिएशन में विवाद पैदा कर दिया है।
- कुछ सदस्य अध्यक्ष का समर्थन कर रहे हैं, जबकि अन्य उनका विरोध कर रहे हैं।
- यह विवाद अभी भी जारी है।
निष्कर्ष:
- यह घटना भारत में चुनावों में धन के उपयोग और पारदर्शिता के मुद्दे पर बहस को जन्म देती है।
- यह देखना बाकी है कि इस विवाद का क्या परिणाम होता है।
इलेक्टोरल बॉन्ड: क्या है विवाद, क्यों बढ़ रही है बहस? What is the electoral bond controversy?
इलेक्टोरल बॉन्ड एक वित्तीय साधन है जो राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए उपयोग किया जाता है। यह 2017 में केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया था।
विवाद के मुख्य बिंदु:
- पारदर्शिता की कमी: इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से किए गए चंदे में पारदर्शिता की कमी है। यह पता लगाना मुश्किल है कि कौन से दल को कितना पैसा मिला है और यह पैसा कहां से आया है।
- अनुचित प्रभाव: कुछ लोगों का मानना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड बड़े व्यवसायों और धनी व्यक्तियों को राजनीतिक दलों पर अनुचित प्रभाव डालने की अनुमति देते हैं।
- राजनीतिक भ्रष्टाचार: कुछ लोगों का मानना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं।
बढ़ती बहस:
- हाल ही में, Electoral bond controversy बढ़ गई है।
- सुप्रीम कोर्ट ने 3 मार्च 2023 को इलेक्टोरल बॉन्ड को वैध घोषित करते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
- इस फैसले के बाद, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष, विकास सिंह ने 8 मार्च 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।
- एससीबीए ने तर्क दिया था कि यह फैसला लोकतंत्र के लिए खतरा है और चुनावों में पारदर्शिता को कम करेगा।
निष्कर्ष:
- इलेक्टोरल बॉन्ड भारत में चुनावों में धन के उपयोग और पारदर्शिता के मुद्दे पर बहस को जन्म देते हैं।
- यह देखना बाकी है कि इस विवाद का क्या परिणाम होता है।