Yamuna water MoU: हरियाणा और राजस्थान ने पिछले शनिवार को एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिससे दशकों पुराने यमुना जल बंटवारे के मुद्दे को लेकर चल रहे विवाद को सुलझाने की उम्मीद जगी है। इस समझौते के तहत दोनों राज्यों ने सहमति जताई है कि राजस्थान को आवंटित यमुना जल, हरियाणा में स्थित हाथनिकुंड से भूमिगत पाइपलाइनों के माध्यम से सीधे जुझुनू और चूरू जिलों तक पहुंचाया जाएगा।

Yamuna water MoU
                               Yamuna water MoU between Haryana and Rajasthan

Yamuna water MoU: Key points of the agreement समझौते के प्रमुख बिंदु:

  • हरियाणा और राजस्थान, यमुना नदी के ऊपरी बेसिन में स्थित रेणुकाजी, लखावर और किशाऊ बांधों के निर्माण के बाद राजस्थान के हिस्से का जलाशय हरियाणा में ही रहेगा।
  • इस जलाशय से राजस्थान को आवंटित जल को भूमिगत पाइपलाइनों के माध्यम से जुझुनू और चूरू जिलों तक पहुंचाया जाएगा।
  • (Yamuna water MoU) परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) दोनों राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से चार महीने के भीतर तैयार की जाएगी।
  • DPR तैयार होने के बाद (Yamuna water MoU) परियोजना के कार्यान्वयन के लिए आगे की कार्यवाही की जाएगी।

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Importance of Yamuna water MoU: समझौते का महत्व:

  • यह समझौता दोनों राज्यों के बीच दशकों से चले आ रहे यमुना जल विवाद (Yamuna water dispute between Haryana and Rajasthan) को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • राजस्थान को जल संकट से निपटने में मदद मिलेगी।
  • हरियाणा के लिए सिंचाई और पेयजल की जरूरतों को पूरा करने में सहायता मिलेगी।
  • परियोजना के पूरा होने से दोनों राज्यों के किसानों को लाभ होगा।

Future direction: भविष्य की दिशा

  • दोनों राज्यों को मिलकर डीपीआर को समय पर तैयार करना होगा और परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करना होगा।
  • परियोजना के कार्यान्वयन के दौरान पर्यावरणीय पहलुओं का भी ध्यान रखना होगा।

यह समझौता यमुना के जल संसाधनों के प्रबंधन और दोनों राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। उम्मीद है कि यह समझौता जल्द ही धरातल पर उतरेगा और दोनों राज्यों को इसका लाभ मिलेगा।

Yamuna water MoU Challenges: चुनौतियां

  • डीपीआर को तैयार करने और परियोजना को पूरा करने में समय लग सकता है।
  • परियोजना की लागत को लेकर दोनों राज्यों के बीच विवाद हो सकता है।
  • पर्यावरणीय चिंताओं का समाधान आवश्यक है।

Additional Information: अतिरिक्त जानकारी

  • यमुना जल बंटवारे के मुद्दे को सुलझाने के लिए 1994 में एक समझौता हुआ था, लेकिन दोनों राज्यों के बीच विवाद जारी रहा।
  • नई परियोजना के पूरा होने से जुझुनू और चूरू जिलों को लगभग 850 क्यूसेक पानी मिलेगा।
  • सरकार का लक्ष्य परियोजना को पांच साल के भीतर पूरा करना है।

Yamuna water dispute between Haryana and Rajasthan: हरियाणा और राजस्थान के बीच यमुना जल विवाद का इतिहास

Yamuna water dispute between Haryana and Rajasthan
History of Yamuna water dispute between Haryana and Rajasthan

हरियाणा और राजस्थान के बीच यमुना जल बंटवारे को लेकर विवाद का इतिहास काफी लंबा और जटिल है। आइए इस विवाद के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र डालते हैं:

Background: पृष्ठभूमि

  • यमुना नदी यमुना नदी उत्तरी भारत की एक प्रमुख नदी है जो हिमाचल प्रदेश से निकलकर हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से होते हुए यमुनानगर (हरियाणा) के पास यमुनानदी (उत्तर प्रदेश) में मिल जाती है।
  • यमुना नदी का ऊपरी बेसिन (लगभग 33%) हिमाचल प्रदेश में है, जबकि मध्य बेसिन (लगभग 43%) हरियाणा में और निचला बेसिन (लगभग 24%) राजस्थान और उत्तर प्रदेश में स्थित है।

Roots of Yamuna water dispute between Haryana and Rajasthan: हरियाणा-राजस्थान यमुना जल विवाद की जड़ें

  • विवाद की जड़ें 1950 के दशक में वापस जाती हैं, जब दोनों राज्यों में सिंचाई परियोजनाओं के विकास के लिए यमुना जल के उपयोग की आवश्यकता बढ़ गई।
  • 1963 में, भारत सरकार ने यमुना जल समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें राजस्थान को 800 क्यूसेक (घन मीटर प्रति सेकंड) पानी आवंटित किया गया था। हालांकि, हरियाणा इस समझौते से संतुष्ट नहीं था और उसने इसे अनुचित माना।
  • 1994 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया, जिसमें यमुना जल को तीन राज्यों (हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान) के बीच 6:1:2 के अनुपात में बांटा गया था। इस फैसले से भी हरियाणा संतुष्ट नहीं हुआ और उसने इस मामले को 2002 में फिर से सुप्रीम कोर्ट में ले गया।

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Major issues Yamuna water dispute between Haryana and Rajasthan: हरियाणा-राजस्थान यमुना जल विवाद के प्रमुख मुद्दे

  • हरियाणा का दावा है कि वह पहले ही नदी के ऊपरी बेसिन में कई बांध बना चुका है, जिससे पानी का स्तर कम हो गया है। इसलिए, राजस्थान को आवंटित किया गया 800 क्यूसेक पानी उसे नहीं दिया जा सकता।
  • राजस्थान का तर्क है कि उसे सूखा प्रभावित क्षेत्र होने के कारण अधिक पानी की आवश्यकता है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया जाना चाहिए।

Recent development: हाल के घटनाक्रम

  • 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने यमुना जल विवाद से जुड़े मामले में न्यायाधिकरण गठित करने का आदेश दिया।
  • फरवरी 2024 में, हरियाणा और राजस्थान ने एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य यमुना के अतिरिक्त वर्षा जल का प्रभावी ढंग से उपयोग करना है। इसके तहत दोनों राज्य मिलकर राजस्थान के जुझुनू और चूरू जिलों तक यमुना का अतिरिक्त वर्षा जल पहुंचाने के लिए एक परियोजना तैयार करेंगे।

Conclusion: निष्कर्ष

हालांकि समझौता एक सकारात्मक कदम है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यह उम्मीद की जाती है कि दोनों राज्य मिलकर काम करके इन चुनौतियों का समाधान करेंगे और परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करेंगे। इससे न केवल दोनों राज्यों के बीच जल विवाद का समाधान होगा, बल्कि किसानों और आम लोगों को भी लाभ होगा।

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