10 मार्च को देश की पहली महिला शिक्षिका, सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि है। मृत्यु: 10 मार्च, 1897, पुणे, महाराष्ट्र में हुयी सावित्रीबाई फुले न केवल एक शिक्षिका थीं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए लड़ाई लड़ी। सावित्रीबाई फुले आज भी महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
उनकी शिक्षाओं और कार्यों ने भारत में महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।उनकी पुण्यतिथि पर, आइए उनके जीवन और कार्यों को याद करें और महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए उनकी लड़ाई को आगे बढ़ाएं। उनकी पुण्यतिथि पर, आइए उनके जीवन और कार्यों को याद करें और उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलने का प्रयास करें।
सावित्रीबाई फुले: जीवन परिचय Savitribai Phule: Biography
सावित्रीबाई फुले, जिन्हें “आधुनिक भारत की महिला शिक्षा की जननी” के रूप में जाना जाता है, का जन्म 3 जनवरी 1831 को नायगांव, महाराष्ट्र में हुआ था। उनका जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव फुले से शिक्षा प्राप्त की, जो एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता थे। 1848 में, उन्होंने ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर भारत की पहली महिला विद्यालय की स्थापना की।
उन्होंने गरीब और वंचित बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। सावित्रीबाई फुले ने बाल विवाह, दहेज प्रथा, अस्पृश्यता और सामाजिक अन्याय के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया और महिलाओं को सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए काम किया। 10 मार्च 1897 को पुणे, महाराष्ट्र में उनका निधन हो गया।
आज भी, सावित्रीबाई फुले महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी शिक्षाओं और कार्यों ने भारत में महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
यहां सावित्रीबाई फुले के जीवन से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं: Here are some other important facts related to the life of Savitribai Phule:
- उन्हें “आधुनिक भारत की महिला शिक्षा की जननी” के रूप में जाना जाता है।
- भारत सरकार ने उनके सम्मान में 1996 में एक डाक टिकट जारी किया।
- उनके जीवन पर आधारित कई फिल्में और टीवी धारावाहिक बनाए गए हैं।
सावित्रीबाई फुले एक महान महिला थीं जिन्होंने भारत में महिला शिक्षा और सामाजिक न्याय के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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ज्योतिराव फुले का जीवन परिचय: Biography of Jyotirao Phule
ज्योतिराव फुले, जिन्हें “महात्मा फुले” के नाम से भी जाना जाता है, एक महान सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक और लेखक थे। उनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के नायगांव में हुआ था। उन्होंने अपना जीवन सामाजिक न्याय और समानता के लिए समर्पित कर दिया।
ज्योतिराव फुले ने महिला शिक्षा, जातिवाद, अस्पृश्यता और बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने “सत्यशोधक समाज” की स्थापना की, जो एक सामाजिक सुधारवादी संगठन था। उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें “गुलामगिरी”, “शूद्रातिशूद्र”, “ब्राह्मणों का चरित्र” और “आत्मचरित्र” शामिल हैं।
28 नवंबर 1890 को पुणे, महाराष्ट्र में उनका निधन हो गया। आज भी, ज्योतिराव फुले सामाजिक न्याय और समानता के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।उनके विचार और कार्य आज भी प्रासंगिक हैं।
यहां ज्योतिराव फुले के जीवन से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं: Here are some other important things related to the life of Jyotirao Phule
- उन्हें “महाराष्ट्र के ज्योतिबा” के नाम से भी जाना जाता है।
- भारत सरकार ने उनके सम्मान में 1996 में एक डाक टिकट जारी किया।
- उनके जीवन पर आधारित कई फिल्में और टीवी धारावाहिक बनाए गए हैं।