राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने, राज्य में ट्रांसमिशन सिस्टम को मजबूत करने और तापीय और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए नई परियोजनाएं स्थापित करने के लिए 1.60 लाख करोड़ रुपये के 5 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। यह कदम राज्य को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Rajasthan government signs 5 MoUs worth Rs 1.60 lakh crore to boost energy sector
ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 1.60 लाख करोड़ रुपये के 5 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर

आधारभूत संरचना क्षेत्र के विकास के लिए समझौता ज्ञापन (MoU for Infrastructure Development of energy sector in Rajasthan)

  • राजस्थान सरकार ने राज्य के बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास के लिए ग्रामीण विद्युतीकरण निगम और राज्य सरकार के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर भी हस्ताक्षर किए हैं।
  • इस समझौते के तहत, ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड राज्य सरकार के विभिन्न विभागों, उपक्रमों, संस्थानों और योजनाओं को हर साल 20 हजार करोड़ रुपये का ऋण प्रदान करेगा।
  • इस समझौते से राज्य में बिजली, पानी, सिंचाई, मेट्रो, परिवहन और कृषि जैसे बुनियादी ढांचा क्षेत्रों से जुड़ी परियोजनाओं में तेजी से वृद्धि होगी। इससे आर्थिक रूप से समृद्ध राज्य बनने की दिशा में राजस्थान आगे बढ़ेगा।
  • इन समझौता ज्ञापनों और विद्युत खरीद समझौतों (PPA) से राज्य में तापीय और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि होगी।

समझौता ज्ञापनों से जुड़ी जानकारी (Details of the energy sector MoUs Rajasthan)

  • राज्य सरकार के अनुसार, मुख्यमंत्री कार्यालय में ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिए 1.60 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ 31 हजार 825 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन की विभिन्न परियोजनाओं सहित 3 बिजली निगमों और 6 केंद्र सरकार के उपक्रमों के शीर्ष अधिकारियों के बीच आज 5 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
  • इनमें से एक समझौता ज्ञापन 3325 मेगावाट क्षमता की तापीय परियोजनाओं के लिए राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RVUN) के साथ कोल इंडिया लिमिटेड, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC) और NLC इंडिया के बीच किया जाएगा।
  • इसके अलावा, RVUN और NTPC ग्रीन एनर्जी के बीच 28 हजार 500 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा आधारित परियोजनाओं के लिए समझौता ज्ञापन किया जाएगा। इन नई परियोजनाओं को संयुक्त उपक्रमों के माध्यम से विकसित किया जाएगा और इन पर 1 लाख 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
  • इसी तरह, राज्य में बिजली ट्रांसमिशन प्रणाली को मजबूत करने के लिए, राजस्थान विद्युत ट्रांसमिशन निगम और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन के बीच 10 हजार करोड़ रुपये के निवेश का समझौता होगा।

अतिरिक्त समझौते (Additional Agreements in energy sector by Rajasthan government)

  • राजस्थान ऊर्जा विकास निगम और एसजीवीएन ग्रीन एनर्जी के बीच 600 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से बिजली आपूर्ति के लिए एक विद्युत खरीद समझौता (PPA) पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे।
  • राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम छबरा तापीय विद्युत परियोजना में 1600 मेगावाट की कोयला आधारित परियोजना के लिए NTPC के साथ और 25000 मेगावाट की सौर/पवन परियोजना के लिए NTPC ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के साथ समझौता करेगा।
  • RVUNL कुल 4100 मेगावाट की परियोजनाओं के लिए कोल इंडिया लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर करेगा, जिसमें 1600 मेगावाट की पिट हेड कोयला आधारित परियोजना, 2250 मेगावाट की सौर परियोजना, 200 मेगावाट की जलविद्युत पम्प भंडारण परियोजना और 50 मेगावाट की पवन परियोजना शामिल है।
  • 125 मेगावाट की पिट हेड लिग्नाइट आधारित परियोजना और 1000 मेगावाट की सौर परियोजना के लिए NLC इंडिया लिमिटेड के साथ भी एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।

इन संयुक्त उद्यमों में विभिन्न कंपनियां निम्न अनुसार निवेश करेंगी:

  • एनटीपीसी – 1 लाख 16 हजार करोड़ रुपये
  • कोल इंडिया – 26 हजार 700 करोड़ रुपये
  • एनएलसी – 5 हजार 50 करोड़ रुपये
  • पावर ग्रिड – 10 हजार करोड़ रुपये
  • एसजीवीएन ग्रीन एनर्जी – 2250 करोड़ रुपये

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पिछली समस्याओं का समाधान (Addressing Past Issues with energy sector of Rajasthan)

यह कदम राज्य में बिजली क्षेत्र की पिछली समस्याओं का समाधान करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है। ऊर्जा विभाग और बिजली कंपनियों के कुप्रबंधन के कारण राज्य में लगातार बिजली संकट बना हुआ था। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022-23 में राज्य उत्पादन कंपनी लगभग 55 प्रतिशत बिजली उत्पादन क्षमता के साथ ही काम कर रही थी।

  • बिजली आपूर्ति के लिए एक्सचेंज से महंगी बिजली खरीदनी पड़ती थी। वर्ष 2022-23 में एक्सचेंज से 3700 करोड़ रुपये से अधिक की बिजली खरीदने के कारण राज्य के खजाने पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा था।
  • वर्तमान में, सभी बिजली कंपनियों पर ऋण का बोझ 1 लाख 39 हजार 200 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसमें डिस्कॉम (वितरण कंपनियों) पर लगभग 88,700 करोड़ रुपये का ऋण शामिल है।

हालांकि, ये नए समझौता ज्ञापन और निवेश राज्य को ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने और बुनियादी ढांचा क्षेत्र को मजबूत करने में मदद करेंगे।

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