Bajrang Baan: हिंदू धर्म में भगवान हनुमान को अपार शक्ति, बुद्धि और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है। उनकी वीरता और भक्ति का गुणगान करने वाला एक महत्वपूर्ण पाठ है – बजरंग बाण। यह पाठ न केवल हनुमान जी की महिमा का वर्णन करता है, बल्कि उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम भी माना जाता है। आइए, बजरंग बाण के इतिहास और संरचना का गहन अध्ययन करें:
बजरंग बाण का इतिहास:
बजरंग बाण (Bajrang Baan) की रचना को लेकर इतिहासकारों और धर्मग्रंथों में विभिन्न मत पाए जाते हैं। इसकी उत्पत्ति अस्पष्ट होने के कारण कई मान्यताएं प्रचलित हैं:
- तुलसीदास रचित्त्व का मत: कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पाठ की रचना महान संत तुलसीदास जी ने की थी।
- पौराणिक उल्लेख: पौराणिक कथाओं के अनुसार, बजरंग बाण की रचना लंका युद्ध के दौरान हुई थी। युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण को शक्ति की आवश्यकता हुई, तब उन्होंने हनुमान जी को बल प्रदान करने के लिए बजरंग बाण का पाठ किया। माना जाता है कि इस दिव्य पाठ से हनुमान को अपार शक्ति प्राप्त हुई और वह रावण से युद्ध करने में सक्षम हुए।
- प्राचीन ग्रंथ का अंश: कुछ विद्वानों का यह भी मत है कि बजरंग बाण तुलसीदास से भी अधिक प्राचीन हो सकता है और यह किसी अन्य प्राचीन हिंदू ग्रंथ का हिस्सा रहा होगा, जो बाद में स्वतंत्र पाठ के रूप में प्रचलित हुआ।
निश्चित रूप से बजरंग बाण की रचना का समय स्पष्ट नहीं है, लेकिन सदियों से यह पाठ हनुमान भक्ति का प्रतीक बना हुआ है।
बजरंग बाण (Bajrang Baan) का संरचनात्मक वैभव:
बजरंग बाण का पाठ एक सुनियोजित संरचना का पालन करता है, जिसे तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है:
- श्री हनुमान चालीसा: बजरंग बाण का पाठ प्रारंभिक रूप से श्री हनुमान चालीसा के पाठ से होता है। इसमें हनुमान जी के विभिन्न रूपों, शक्तियों और कार्यों का वर्णन किया गया है। चालीसा भक्त को पाठ के लिए तैयार करती है और हनुमान जी का स्मरण करवाती है।
- छंद (छंद): बजरंग बाण का मुख्य भाग 17 छंदों से मिलकर बना है। प्रत्येक छंद में भगवान हनुमान के विभिन्न नामों का जाप, उनके यशगान और शत्रुओं के विनाश की प्रार्थना शामिल है। इन छंदों में विशेष मंत्रों का प्रयोग किया जाता है, जो भक्त को आत्मिक बल प्रदान करते हैं।
- संकल्प और समापन: किसी भी धार्मिक अनुष्ठान की तरह, बजरंग बाण का पाठ भी एक संकल्प (एक व्रत या धार्मिक कार्य करने का निश्चय) के साथ आरंभ किया जाता है। पाठ के अंत में बजरंग बाण की आरती की जाती है, जिसमें हनुमान जी की विधिवत पूजा की जाती है। आरती पाठ के सफल समापन का प्रतीक होती है।
बजरंग बाण (Bajrang Baan) की यह संरचना पाठ को क्रमबद्ध और प्रभावी बनाती है। चालीसा से आरंभ होकर छंदों के माध्यम से भक्तिभाव को जगाते हुए, अंत में आरती के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रक्रिया संपन्न होती है।
बजरंग बाण पाठ करने की विधि (Bajrang Baan Path Vidhi)
बजरंग बाण (Bajrang Baan) का पाठ मन को शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। इसे सही श्रद्धा भाव से करने से जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आइए, जानते हैं बजरंग बाण पाठ करने की सही विधि:
पूर्व तैयारी (Preparations):
- स्नान (Snan): पाठ करने से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। (It is recommended to bathe and wear clean clothes before starting the puja)
- पूजा स्थान (Puja Sthan): एक शांत और साफ जगह चुनें। (Choose a quiet and clean place)
- मूर्ति या चित्र (Murti ya Chitra): हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। (Place an idol or picture of Lord Hanuman)
- प सामग्री (Samग्री): दीपक, अगरबत्ती, सिंदूर, फूल, चंदन, पान, सुपारी आदि सामग्री जुटाएं। (Gather puja materials like diya, incense sticks, sindoor, flowers, sandalwood paste, paan, supari etc.)
पाठ विधि (Path Vidhi):
- आसन (Aasan): आसन पर बैठ जाएं। आसन (posture) पालना जरूरी नहीं है, आप आराम से बैठ सकते हैं। (Sit comfortably on a mat or chair. There’s no need for a specific posture)
- संकल्प (Sankalp): मन में शुद्ध भाव से संकल्प लें कि आप बजरंग बाण का पाठ कर रहे हैं। (Take a sankalp with a pure heart that you are reciting the Bajrang Baan)
- गणेश पूजन (Ganesh Pujan): पंडितों के अनुसार पहले गणेश जी का पूजन करना शुभ होता है। (According to some pandits, it’s auspicious to worship Lord Ganesha before starting)
- हनुमान जी का ध्यान (Hanuman Ji ka Dhyan): हनुमान जी का ध्यान करें और उन्हें प्रार्थना करें कि वे पाठ में विघ्न न डालें। (Meditate on Lord Hanuman and pray for an uninterrupted recitation)
- आवाहन (Aahan): हनुमान जी का आवाहन करें। (Invite Lord Hanuman to be present during the puja)
- षोडशोपचार पूजन (Shodashopachara Pujan): अपनी श्रद्धा अनुसार उनका षोडशोपचार पूजन करें। (Perform a puja with 16 offerings as per your devotion)
- पाठ आरंभ (Path Aarambh): “ॐ श्री हनुमते नमः” मंत्र का उच्चारण कर पाठ शुरु करें। (“Om Shri Hanumate Namah” – Start the recitation with this mantra)
- पाठ (Path): पूरी श्रद्धा भाव से बजरंग बाण का पाठ करें। (Recite the complete Bajrang Baan with devotion)
- हवन और आरती (Havan aur Aarti): कुछ लोग हवन और आरती भी करते हैं, यह वैकल्पिक है। (Some people perform havan and aarti, these are optional steps)
- समाप्ति (Samaapti): पाठ पूरा होने के बाद हनुमान जी को नमन करें और उनका आशीर्वाद लें। (“Om Shri Hanumate Namah” – Conclude the recitation by bowing down to Lord Hanuman and seeking his blessings)
बजरंग बाण पाठ (Bajrang Baan Path)
बजरंग बाण (Bajrang Baan) पाठ हिन्दी अर्थ सहित:
दोहा:
“निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।”
“तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥”
चौपाई:
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।
हे प्रभु हनुमान जी आप
सभी संतों के लिए हितकारी है
कृपया हमारी प्रार्थना भी स्वीकार करें।
बिलम्ब न करें और जल्दी आकर
अपने भक्तों को सुखी करिए।
जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
आपने विशाल समुद्र को पार किया था
और सुरसा जैसी राक्षसी के मुख में
प्रवेश करके वापस आ गये थे।
आपको लंका में प्रवेश करने से
लंकनी ने रोका तो आपके प्रहार ने
लंकनी को सुरलोक में भेज दिया।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।
बाग उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।
आपने विभीषण को सुख दिया
और आपने सीता माता की कृपा से
परमपद प्राप्त किया है।
आपने बाग को उजाड़कर
समुद्र में डूबो दिया।
और रावण के रक्षकों को दण्ड दिया।
अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।।
आपने अक्षय कुमार को संहार किया
तथा अपनी पूंछ से लाख के महल की तरह सम्पूर्ण
लंका को जला डाला। जिससे सभी जगह
आपकी जय जयकार होने लगी।
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।
आप इतना विलम्ब क्यों कर रहे हैं।
मेरे ऊपर भी अपनी कृपा करें।
आपने जिस प्रकार लक्षमण जी के
प्राण बचाए थे, मेरे भी दुखों का नाश करो।
जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।
ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिं मारु बज्र की कीले।।
हे गिरधर पर्वत को धारण करने वाले
आप सुख के सागर हैं।
देवताओं और भगवान विष्णु जितने
सामर्थ्यवान, हे हठीले हनुमान जी शत्रुओं पर
बज्र की कीलों से प्रहार करो।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।
ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।
वज्र और गदा से शत्रुओं का विनाश करो
और अपने दास को इस विपत्ति से उबारो।
आप ओंकार की हुंकार से कष्टों को
खत्म कर दें और अपने गदा से प्रहार
करने में अब विलम्ब न करिए।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।
हे कपीश्वर– शत्रुओं के सिर धड़ से अलग कर दो।
हे प्रभु भगवान श्री राम स्वयं कहते हैं कि
आप ही उनके शत्रुओं का विनाश करते हैं।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।
हे प्रभु हनुमान जी मै सदैव आपकी
जय जयकार करता हूं
फिर भी मैं किस अपराध के कारण दुखी हूं।
हे प्रभु ये आपका दास आपके पूजा के जप,
तप ,नियम कुछ भी नहीं जानता है।
वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
वन में, उपवन में, पहाड़ों या पर्वतों में,
कहीं आपके बल से डर नहीं लगता है।
मैं आपके चरणों में होकर
आपको मनाता हूं। इस अवसर पर मै
किस तरह आपको पुकारूं।
जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।
अंजनी माता के पुत्र और भगवान शंकर के अंश
आपका शरीर काल की भांति है।
आपने सदैव प्रभु श्री राम की सहायता की है
और उनकी सेवा के लिए आप सदैव तत्पर रहते हैं।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।
आप भूत, प्रेत, पिशाच, निशाचर और अग्नि बैताल
आदि सभी को समाप्त कर दीजिए।
आपको अपने प्रभु श्रीराम की शपथ है।
इन्हें मारकर प्रभु श्री राम के नाम की मर्यादा रखो प्रभु।
जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।
आप प्रभु श्री राम के दास कहलाते हैं इसलिए
अब इस कार्य को करने में विलम्ब न करिए।
आपकी जयकार धुनि आकाश में भी सुनाई देती है।
जो भी आपका सुमिरन करता है उसके सभी कष्टों का निवारण होता है।
चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।
मै आपके चरणों की शरण में हूं और आपसे
विनती करता हूं कि मुझे सही रास्ता दिखाएं।
आपको प्रभु श्री राम की दोहाई है
मैं आपके पैरों में पढ़कर आपको मनाता हूं।
ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।
ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।
हे हनुमान जी आप चं चं चं चं करते हुए चले आओ
आपके हांकने से ही
सभी बड़े बड़े राक्षस सहम जाते हैं।
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।
हे हनुमान जी अपने भक्तो का कल्याण करो।
आपके सुमिरन से हमेंआंनद प्राप्त होता है।
जिसको भी यह बजरंग बाण मारेगा उसे कौन उबारेगा
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै।।
जो भी इस बजरंग बाण का पाठ करता है
उसकी रक्षा स्वयं आप करते हैं।
जो भी इस बजरंग बाण का जाप करता है
उससे भूत प्रेत सब कापतें है।
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।
जो भी मनुष्य धूप दीप देकर इस बजरंग बाण का पाठ करता है
उसे किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है।
दोहा
” प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान। “
” तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।। “
बजरंग बाण: आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभ (Bajrang Baan: Spiritual, Mental and Physical Benefits)
बजरंग बाण (Bajrang Baan), भगवान हनुमान की वीरता और शक्ति का गुणगान करने वाला एक हिंदू पाठ है। कई शताब्दियों से, श्रद्धालु इस पाठ को नियमित रूप से जप कर रहे हैं और इसका अनुभव कर रहे हैं कि यह उनकी आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक भलाई में सकारात्मक बदलाव लाता है। आइए देखें कि बजरंग बाण का पाठ करने से आस्तिकों को कैसे लाभ हो सकते हैं:
आध्यात्मिक लाभ: (Spiritual benefits of Bajrang baan)
- हनुमान जी का आशीर्वाद: बजरंग बाण का पाठ करने से भगवान हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में सफलता और सकारात्मकता का मार्ग प्रशस्त करता है।
- आत्मविश्वास और शक्ति: बजरंग बाण भगवान हनुमान की असीम शक्ति का वर्णन करता है। पाठ करने से भक्तों में भी वही आत्मविश्वास और शक्ति का संचार होता है, जिससे वे जीवन की कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम होते हैं।
- भक्ति और समर्पण की भावना: नियमित पाठ भगवान हनुमान के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना को जगाता है। इससे आध्यात्मिक विकास होता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
- मन की शांति: बजरंग बाण का जाप मन को शांत करने और नकारात्मक विचारों को दूर करने में सहायक होता है। इससे ध्यान लगाने की क्षमता बढ़ती है और आंतरिक शांति का अनुभव होता है।
मानसिक लाभ: (Mental benefits of Bajrang baan)
- एकाग्रता और फोकस: बजरंग बाण का पाठ एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है। मंत्रों का जाप करने से मन भटकने से रुकता है और फोकस बढ़ता है, जिसका लाभ दैनिक जीवन में निर्णय लेने और कार्यों को पूरा करने में मिलता है।
- तनाव कम करना: बजरंग बाण का पाठ तनाव कम करने और मानसिक थकान दूर करने में भी सहायक माना जाता है। पाठ के दौरान गंभीरता से मंत्रों का उच्चारण करने से मन को शांति मिलती है।
- सकारात्मक दृष्टिकोण: बजरंग बाण भगवान हनुमान की जीवन के प्रति सकारात्मक सोच को दर्शाता है। पाठ करने से भक्तों में भी वही सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है, जिससे वे चुनौतियों का सामना हिम्मत से कर पाते हैं।
शारीरिक लाभ: (Physical benefits of Bajrang baan)
- योग और प्राणायाम: माना जाता है कि बजरंग बाण का पाठ करने की मुद्रा (बैठने की अवस्था) योगासनों से मिलती-जुलती है। नियमित पाठ से शरीर लचीला बनता है और रक्त संचार बेहतर होता है।
- श्वास नियंत्रण: बजरंग बाण का पाठ करते समय गहरा श्वास लेना और छोड़ना प्राणायाम का एक रूप माना जाता है। इससे फेफड़ों का व्यायाम होता है और श्वास संबंधी समस्याएं कम हो सकती हैं।
- मन और शरीर का संतुलन: बजरंग बाण का पाठ मानसिक शांति और एकाग्रता प्रदान करता है, जो शारीरिक स्वास्थ्य को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। मन और शरीर का संतुलन जीवनशक्ति बढ़ाने में सहायक होता है।
ध्यान देने योग्य बात:
यह ध्यान देना जरूरी है कि उपरोक्त लाभ आस्था और श्रद्धापूर्वक पाठ करने पर ही प्राप्त होते हैं। बजरंग बाण (Bajrang Baan) का पाठ किसी चमत्कार की तरह नहीं, बल्कि आध्यात्मिक विकास और सकारात्मक जीवनशैली अपनाने के लिए किया जाता है।
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