Chaitra Navratri: नवरात्रि, हिंदू धर्म के उन प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है – “नौ रातें”. साल में चार बार आने वाला ये पर्व, माता दुर्गा की शक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में भक्ति, उपवास, पूजा-पाठ और आस्था का संगम देखने को मिलता है।

हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक, चैत्र नवरात्रि, भारतभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। “चैत्र” शब्द चैत्र महीने को दर्शाता है, जो सामान्यतौर पर मार्च-अप्रैल के आसपास पड़ता है। इसी वजह से इस नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। यह नौ दिनों का पर्व, देवी दुर्गा की शक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है।

Chaitra Navratri
चैत्र नवरात्रि 2024

चैत्र नवरात्रि को अन्य नवरात्रि की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान भक्त न केवल उपवास करते हैं और पूजा-पाठ करते हैं बल्कि देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना भी करते हैं। यह पर्व न सिर्फ आध्यात्मिकता का प्रतीक है बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का भी संदेश देता है।

चैत्र नवरात्रि 2024 तिथि और समय: Chaitra Navratri 2024 Date/ Tithi and Time

Table of Contents

Chaitra Navratri Kab Hai? चैत्र नवरात्रि 2024 में 9 अप्रैल से शुरू होकर 17 अप्रैल तक चलेगी।

नवरात्रि के दिनों की तिथियां और मुहूर्त: 8 or 9 Days Chaitra navratri puja/vrat

दिनांक तिथि मुहूर्त पूजा
9 अप्रैल प्रतिपदा रात 11:50 बजे से 9 अप्रैल को रात 8:30 बजे तक घटस्थापना, मां शैलपुत्री की पूजा
10 अप्रैल द्वितीया सुबह 6:02 बजे से 10:16 बजे तक मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
11 अप्रैल तृतीया सुबह 6:53 बजे से 11:06 बजे तक मां चंद्रघंटा की पूजा
12 अप्रैल चतुर्थी सुबह 7:44 बजे से 11:58 बजे तक मां कुष्मांडा की पूजा
13 अप्रैल पंचमी सुबह 8:35 बजे से दोपहर 12:51 बजे तक मां स्कंदमाता की पूजा
14 अप्रैल षष्ठी सुबह 9:26 बजे से दोपहर 1:44 बजे तक मां कात्यायनी की पूजा
15 अप्रैल सप्तमी सुबह 10:17 बजे से दोपहर 2:37 बजे तक मां कालरात्रि की पूजा
16 अप्रैल अष्टमी सुबह 11:08 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक मां महागौरी की पूजा, कन्या पूजन
17 अप्रैल नवमी सुबह 11:59 बजे से दोपहर 4:23 बजे तक मां सिद्धिदात्री की पूजा, हवन

घटस्थापना: चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ  Chaitra Navratri Ghatasthapana/ Kalash Sthapana

नवरात्रि का पहला दिन, जिसे घटस्थापना (Ghatasthapana) के नाम से जाना जाता है, पूरे उत्सव का आधार स्थापित करता है। यह वह दिन है जब देवी दुर्गा के आगमन का स्वागत करते हुए, घरों में कलश स्थापित किया जाता है।

Ghatasthapana vidhi, muhurta
नवरात्रि: घटस्थापना

घटस्थापना मुहूर्त का विशेष महत्व है क्योंकि यह देवी दुर्गा की शक्ति और आशीर्वाद को आमंत्रित करने का शुभ समय माना जाता है।

घटस्थापना विधि: Ghatasthapana Vidhi/ Kalash Sthapana Vidhi

  • कलश स्थापना (kalash Sthapana): एक शुभ मुहूर्त में, मिट्टी के बर्तन (कलश) में जौ, गेहूं, चना, मूंग, धान, मक्का, बाजरा, उड़द, और मसूर जैसी अनाज बोई जाती है। कलश को पवित्र जल, नारियल, आम के पत्तों, मौली और लाल कपड़े से सजाया जाता है।
  • देवी दुर्गा की मूर्ति स्थापना (Murti Sthapana): देवी दुर्गा की मूर्ति को घर में स्थापित किया जाता है और पूजा के लिए तैयार किया जाता है।
  • पूजा (Puja): भक्त देवी दुर्गा की पूजा करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं और आरती करते हैं।
  • उपवास (Vrat): कई भक्त नवरात्रि के दौरान उपवास रखते हैं और सात्विक भोजन करते हैं।

घटस्थापना का महत्व: Importance of Ghatasthapana or Kalash Sthapana

  • शुभ शुरुआत: घटस्थापना मुहूर्त नवरात्रि उत्सव की शुभ शुरुआत का प्रतीक है।
  • देवी दुर्गा का आगमन: यह समय देवी दुर्गा के आगमन का स्वागत करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का होता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: कलश स्थापना और पूजा घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
  • आध्यात्मिक जागरण: यह समय आध्यात्मिक जागरण और आत्म-चिंतन का भी होता है।

घटस्थापना मुहूर्त 2024: Chaitra Navratri Ghatasthapana, Kalash Sthapana Muhurta 2024

चैत्र नवरात्रि 2024 में 9 अप्रैल से शुरू होकर 18 अप्रैल तक चलेगी।

घटस्थापना (कलश स्थापना) मुहूर्त:

  • तारीख: 9 अप्रैल, सुबह 6:12 बजे से 10:23 बजे तक
  • अवधि: 4 घंटे 11 मिनट

अभिजित मुहूर्त:

    • समय: 9 अप्रैल, दोपहर 12:03 बजे से 12:53 बजे तक
    • अवधि: 50 मिनट

चैत्र नवरात्रि पूजा: Chaitra Navratri Puja

चैत्र नवरात्रि, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में देवी दुर्गा की नौ स्वरूपों की पूजा (Puja) की जाती है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि की पूजा विधि के बारे में:

पूर्व तैयारियां:

  • घटस्थापना: नवरात्रि का पहला दिन घटस्थापना से शुरू होता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में मिट्टी के पात्र (कलश) में जौ बोए जाते हैं। कलश को पवित्र जल, आम के पत्तों, मौली और लाल कपड़े से सजाया जाता है। आप चाहें तो कलश के स्थान पर घड़ा भी स्थापित कर सकते हैं।
  • पूजा की सामग्री: अगर आप घर पर ही पूजा करना चाहते हैं, तो कुमकुम, रोली, मोली, धूप, दीपक, अगरबत्ती, नारियल, मिठाई, फूल, पान का पत्ता, सुपारी और श्रद्धाभाव जैसी पूजा सामग्री जरूर इकट्ठी कर लें।
  • देवी दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर: आप घर में देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं या फिर उनकी तस्वीर का उपयोग कर सकते हैं।

चैत्र नवरात्रि पूजा विधि (प्रतिदिन): Chaitra Navratri Puja Vidhi

  1. स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और मन में शुद्ध भाव रखते हुए व्रत का संकल्प लें (यदि आप उपवास रख रहे हैं)।
  2. पूजा का आसन: आसन बिछाकर उस पर देवी दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  3. आसन शुद्धि: आसन को गंगाजल या साफ पानी से शुद्ध करें।
  4. आवाहन: देवी दुर्गा का आह्वान करते हुए उन्हें पूजा में विराजमान होने का निवेदन करें।
  5. षोडशोपचार पूजन: षोडशोपचार विधि से पूजा करें। इसमें गणेश पूजन, अष്ട द्रव्य (हल्दी, कुमकुम, चंदन, धतूरा, बेलपत्र, आक का फूल, दूब और तिल), पुष्प अर्पण, धूप, दीप, नैवेद्य (भोजन का प्रसाद), आचमन (पानी ग्रहण करना), वस्त्र अर्पण, तांबूल अर्पण (पान का पत्ता और सुपारी), दीप निरंजन (दीप बुझाना) और आरती शामिल हैं।
  6. मंत्र जाप: आप दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं या फिर “ॐ दुर्गााय देव्यै नमः” मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  7. आरती: देवी दुर्गा की आरती करें।
  8. प्रार्थना: मन में अपनी इच्छाओं का ध्यान करते हुए देवी दुर्गा से प्रार्थना करें।
  9. पारायण (वैकल्पिक): आप चाहें तो दुर्गा सप्तशती या देवी दुर्गा से संबंधित अन्य ग्रंथों का पाठ कर सकते हैं।

अंत में: पूजा की सामग्री का भोग लगाएं और प्रसाद ग्रहण करें।

विशेष पूजा:

  • नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की अलग-अलग पूजा की जाती है। आप चाहें तो हर दिन के लिए अलग-अलग मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
  • नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन कन्या पूजन का विधान है। कन्याओं को भोजन कराकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।

ध्यान दें:

  • यह एक सामान्य पूजा विधि है। आप अपने क्षेत्र के पंडित से सलाह लेकर विधि में थोड़ा बदलाव कर सकते हैं।
  • अपनी श्रद्धा और विश्वास के अनुसार ही पूजा करें।

नवरात्रि में दुर्गा का महत्व: Durga significance in Navratri 

नवरात्रि के उत्सव में, देवी दुर्गा (Durga) का आगमन एक ज्योतिर्मय किरण की तरह होता है, जो अंधकार को दूर भगा देती है। इन नौ पवित्र दिनों में, देवी दुर्गा की उपस्थिति पूरे वातावरण को शक्ति और भक्ति से भर देती है।

देवी दुर्गा को नवरात्रि का ह्रदय, आत्मा और केंद्र बिंदु कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। उनकी पूजा ही इस उत्सव का मूल उद्देश्य है। नवरात्रि के नौ दिन नौ अलग-अलग स्वरूपों में देवी दुर्गा की शक्ति और अनुग्रह का गुणगान करने के लिए समर्पित होते हैं।

Maa Durga
देवी दुर्गा
  • नवरात्रि के दौरान, भक्त देवी दुर्गा की शरण में जाते हैं। उनकी पूजा करना, मंत्रों का जाप करना और कठिन उपवास करना, सभी भक्ति और कृतज्ञता व्यक्त करने के तरीके हैं। यह माना जाता है कि सच्चे हृदय से की गई आराधना से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
  • देवी दुर्गा केवल पूजा का विषय ही नहीं हैं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत भी हैं। हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित उनका महिषासुर के साथ युद्ध, बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह कथा नवरात्रि के दौरान बार-बार सुनाई जाती है, जो भक्तों को यह याद दिलाती है कि धर्म के मार्ग पर चलना और बुराई का विरोध करना ही जीवन का सच्चा लक्ष्य है।

चैत्र नवरात्रि के दौरान, भक्त देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं: Nine Avtars of Durga Worshiped in Navratri

चैत्र नवरात्रि, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो नौ दिनों तक मनाया जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा की शक्ति और पराक्रम का प्रतीक है।

नवरात्रि के दौरान, भक्त देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों (Nine Avtars of Durga) की पूजा करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

शैलपुत्री: Maa Shailputri

मां शैलपुत्री (Maa Shailputri) को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना जाता है। “शैल” का अर्थ होता है पर्वत और “पुत्री” का अर्थ होता है पुत्री। इनका एक अन्य नाम है – शैलजा, अर्थात् पर्वतों से उत्पन्न होने वाली देवी।

Maa Shailputri
मां शैलपुत्री

मां शैलपुत्री का स्वरूप सौम्य और शांत होता है। वह बैल पर सवार होकर वरद मुद्रा (दान देने का हाथ) और अभय मुद्रा (भय दूर करने का हाथ) में विराजमान रहती हैं। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में डमरू होता है।

मां शैलपुत्री मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै देव्यै नमः॥

कहा जाता है कि मां शैलपुत्री की सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:

    • सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति
    • शारीरिक और मानसिक बल में वृद्धि
    • धन-धान्य की प्राप्ति
    • सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

ब्रह्मचारिणी: Maa Brahmacharini

मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) का अर्थ है “ज्ञान और तपस्या की देवी”। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत सुंदर और शांत है। वह कमंडल और जपमाला धारण करती हैं। कमंडल ज्ञान का प्रतीक है और जपमाला तपस्या का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी सफेद वस्त्र धारण करती हैं और कमंडल में जल रखती हैं।

Maa Brahmacharini
मां ब्रह्मचारिणी

मां ब्रह्मचारिणी मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै देव्यै नमः॥

कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:

    • ज्ञान और विद्या में वृद्धि
    • मन की एकाग्रता और शांति
    • तपस्या और साधना में सफलता
    • मोक्ष प्राप्ति

चंद्रघंटा: Maa Chandraghanta

मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) का स्वरूप अत्यंत भव्य और शक्तिशाली है। उनके मस्तक पर घंटे का आकार का चंद्रमा विराजमान है, जिसके कारण उन्हें चंद्रघंटा नाम प्राप्त हुआ। उनका शरीर सुनहरे रंग का है और वह दस भुजाओं वाली हैं। उनके हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र जैसे त्रिशूल, गदा, खड्ग, धनुष-बाण आदि सुशोभित हैं। उनके गले में घंटों की माला होती है, जिससे मंद ध्वनि निरंतर निकलती रहती है।

Maa Chandraghanta
मां चंद्रघंटा

मां चंद्रघंटा मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चंद्रघंटायै देव्यै नमः॥

मां चंद्रघंटा सिंह पर सवार होकर भक्तों की रक्षा करती हैं। उनकी घंटा ध्वनि से भूत-पिशाच आदि का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

कहा जाता है कि मां चंद्रघंटा की सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:

  • शत्रुओं पर विजय प्राप्ति
  • भय और negativity से मुक्ति
  • मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि
  • tantrik क्रियाओं से रक्षा

कुष्मांडा: Maa Kushmanda

मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda) का स्वरूप अत्यंत दिव्य और शक्तिशाली है। इनके आठ भुजाएं हैं और वह कमल के आसन पर विराजमान हैं। उनके सात हाथों में कमंडल, चक्र, गदा, धनुष-बाण और कमल का पुष्प सुशोभित है। आठवें हाथ में वह अमृत कलश लिए हुए हैं।

Maa Kushmanda
मां कुष्मांडा

मां कुष्मांडा मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सौम्यै च देव्यै नमः॥

मां कुष्मांडा को सृष्टि की रचना करने वाली माना जाता है। यह माना जाता है कि उनके तेज से ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। इनके नाम का अर्थ है “कद्दू के समान उदर वाली देवी”।

कहा जाता है कि मां कुष्मांडा की सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:

    • अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति
    • रोगों से मुक्ति
    • मनोकामनाओं की पूर्ति
    • आयुष्य और सौभाग्य में वृद्धि

स्कंदमाता: Maa Skandamata

मां स्कंदमाता (Maa Skandamata) को कार्तिकेय की माता (Mother of Kartikeya) के रूप में जाना जाता है। कार्तिकेय, जिन्हें स्कंद के नाम से भी जाना जाता है, युद्ध के देवता हैं।

Maa Skandamata
मां स्कंदमाता

मां स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत मातृत्व भाव से युक्त और शक्तिशाली है। उनके चार भुजाएं हैं। उनका वाहन सिंह है। अपने ऊपर वाले दो हाथों में वह कमल का पुष्प और भगवान स्कंद को पकड़े हुए हैं। नीचे वाले दो हाथों में वरद मुद्रा (दान देने का हाथ) और अभय मुद्रा (भय दूर करने का हाथ) में हैं।

मां स्कंदमाता मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै देव्यै नमः॥

कहा जाता है कि मां स्कंदमाता की सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:

    • संतान प्राप्ति का आशीर्वाद
    • संतान की सुख-समृद्धि की कामना
    • शत्रुओं पर विजय प्राप्ति
    • बल और बुद्धि की प्राप्ति

कात्यायनी: Maa Katyayani

मां कात्यायनी (Maa Katyayani) का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और युद्ध जैसा है। उनके चार भुजाएं हैं और वह सिंह पर सवार होकर भक्तों की रक्षा करती हैं। उनके दाहिने ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में अभय मुद्रा (भय दूर करने का हाथ) है। उनके बाएं ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प और नीचे वाले हाथ में वरद मुद्रा (दान देने का हाथ) है।

Maa Katyayani
मां कात्यायनी

कहा जाता है कि मां कात्यायनी महर्षि कत्य के तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुई थीं। इनका एक अन्य नाम है – अग्निपुत्री, क्योंकि अग्निदेव उनके पिता समान हैं।

मां कात्यायनी मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं दुर्गायै सप्तमयै च कौमारी नमः॥

कहा जाता है कि मां कात्यायनी की सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:

    • शत्रुओं पर विजय प्राप्ति
    • बुद्धि और विद्या में वृद्धि
    • मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि
    • निष्ठुरता और क्रोध का नाश

कालरात्रि: Maa Kalaratri

मां कालरात्रि (Maa Kalaratri) का स्वरूप भयानक और अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। उनका रंग घना काला है और उनके चार भुजाएं हैं। उनके गले में खोपड़ियों की माला और माथे पर त्रिनेत्र विराजमान है। उनके दाहिने ऊपर वाले हाथ में खड्ग (तलवार) और नीचे वाले हाथ में वरद मुद्रा (दान देने का हाथ) है। उनके बाएं ऊपर वाले हाथ में अश (कुल्हाड़ी) और नीचे वाले हाथ में अभय मुद्रा (भय दूर करने का हाथ) है। वह खर नामक गधे पर सवार होकर भक्तों की रक्षा करती हैं।

Maa Kalaratri
मां कालरात्रि

हालाँकि उनका स्वरूप भयानक है, लेकिन यह भक्तों की रक्षा करने के लिए है। मां कालरात्रि बुरी शक्तियों का नाश करती हैं और भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।

मां कालरात्रि मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं दुर्गायै सप्तमयै च कालरात्रिकायै नमः॥

कहा जाता है कि मां कालरात्रि की सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:

    • अकाल मृत्यु का भय दूर होना
    • तंत्र-मंत्र और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा
    • आत्मविश्वास में वृद्धि
    • जीवन की परेशानियों से मुक्ति

महागौरी: Maa Mahagauri

मां महागौरी (Maa Mahagauri) का स्वरूप अत्यंत शांत और सौम्य है। उनका रंग बिल्कुल श्वेत (सफेद) है, इसलिए इन्हें महागौरी कहा जाता है। उनके चार भुजाएं हैं और वह बैल पर सवार होकर भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। उनके दाहिने ऊपर वाले हाथ में त्रिशूल और नीचे वाले हाथ में डमरू है। उनके बाएं ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा (भय दूर करने का हाथ) और नीचे वाले हाथ में खड्ग (तलवार) है। उनके गले में मोती की माला सुशोभित है।

Maa Mahagauri
मां महागौरी

कहा जाता है कि मां दुर्गा ने शुम्भ और निशुम्भ नामक राक्षसों का वध करने के बाद अपना भयंकर रूप त्याग दिया और शांत स्वरूप वाली मां महागौरी के रूप में प्रकट हुईं।

मां महागौरी मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै महागौर्यै च सिद्ध्यै नमः॥

कहा जाता है कि मां महागौरी की सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:

    • मन की शांति और सौम्यता प्राप्त करना
    • क्रोध और ईर्ष्या जैसे नकारात्मक भावों से मुक्ति
    • मोक्ष की प्राप्ति
    • पारिवारिक जीवन में सुख-शांति

सिद्धिदात्री: Maa Siddhidatri

मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) का स्वरूप अत्यंत शांत और कल्याणकारी है। उनके चार हाथ हैं और वह कमल के आसन पर विराजमान हैं। उनके दाहिने ऊपर वाले हाथ में चक्र और नीचे वाले हाथ में गदा है। उनके बाएं ऊपर वाले हाथ में कमंडल और नीचे वाले हाथ में कमल का पुष्प सुशोभित है। उन्हें सभी सिद्धियों को देने वाली माता माना जाता है।

Maa Siddhidatri
मां सिद्धिदात्री

कहा जाता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भगवान नारायण को भी प्रसन्न किया जा सकता है। इनकी कृपा से मनुष्य को अष्ट सिद्धियां (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशीकरण) प्राप्त होती हैं।

मां सिद्धिदात्री मंत्र: ॐ क्लीं सिद्धिदात्रायै नमः॥

अष्ट सिद्धियां:

    • अणिमा: अपने शरीर को अत्यंत सूक्ष्म बना लेने की शक्ति
    • महिमा: अपने शरीर को अत्यंत विशाल बना लेने की शक्ति
    • गरिमा: अपने शरीर को अत्यंत गुरु बना लेने की शक्ति
    • लघिमा: अपने शरीर को अत्यंत हल्का बना लेने की शक्ति
    • प्राप्ति: मनचाही वस्तु को प्राप्त करने की शक्ति
    • प्राकाम्य: मनोवांछित फल की प्राप्ति
    • ईशित्व: ईश्वर के समान शक्तियों को प्राप्त करना
    • वशीकरण: दूसरों को अपने वश में करने की शक्ति

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