Bhimrao Ambedkar Jayanti 2024: आज का दिन यानि 14 अप्रैल 2024, भारत के महान दार्शनिक, समाज सुधारक और भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के रूप में मनाया जा रहा है। वह एक विपुल लेखक और वक्ता थे। उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए निरंतर संघर्ष किया और सामाजिक सुधारों की वकालत की।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी डॉ. अंबेडकर का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने 1932 के गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया और दलितों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र की मांग की। स्वतंत्रता के बाद, उन्हें स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और उन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डॉ. अंबेडकर को भारत रत्न, देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया। आजादी के बाद, उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया और जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई जारी रखी।

Dr. Bhimrao Ambedkar Jayanti 2024
Dr. Bhimrao Ambedkar Jayanti 2024

अम्बेडकर जयंती का इतिहास History of Ambedkar Jayanti

  • 1956 में डॉ. अम्बेडकर के निधन के बाद से, 14 अप्रैल को उनके सम्मान में एक स्मरण दिवस के रूप में मनाया जाता रहा।
  • 1996 में, भारत सरकार ने इसे आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय दिवस घोषित किया।
  • तब से, यह दिवस पूरे भारत में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है, जिसमें सरकारी कार्यालय, स्कूल और कॉलेज बंद रहते हैं।

अंबेडकर जयंती का महत्व Significances of Ambedkar Jayanti

  • सामाजिक न्याय और समानता: यह दिवस हमें सामाजिक न्याय और समानता के महत्व को याद दिलाता है, जो डॉ. अंबेडकर के आदर्शों का मूल आधार थे। यह हमें जाति, धर्म, लिंग या सामाजिक स्थिति के आधार पर भेदभाव के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करता है।
  • संविधान का सम्मान: यह दिवस हमें भारतीय संविधान के महत्व को याद दिलाता है, जो हमारे देश के लोकतंत्र और नागरिकों के अधिकारों का आधार है। यह हमें संविधान के मूल्यों का सम्मान करने और उसकी रक्षा करने के लिए प्रेरित करता है।
  • समाजिक परिवर्तन: यह दिवस हमें समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है। डॉ. अंबेडकर के जीवन और कार्यों से हमें प्रेरणा मिलती है कि हम शिक्षा, सामाजिक सुधार और आर्थिक विकास के माध्यम से समाज को बेहतर बनाने के लिए काम कर सकते हैं।

डॉ. भीमराव अंबेडकर का बचपन और शिक्षा:

  • उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश (वर्तमान में महाराष्ट्र) के मऊ गांव में एक दलित परिवार में हुआ था।
  • अंबेडकर को बचपन से ही जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा। उन्हें स्कूल में प्रवेश लेने और शिक्षा प्राप्त करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
  • अपनी प्रतिभा और दृढ़ संकल्प के बल पर, उन्होंने शिक्षा प्राप्त की और कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से डिग्री हासिल की।
  • उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की, और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बने।

डॉ. भीमराव अंबेडकर का राजनीतिक जीवन:

  • अंबेडकर स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री बने और उन्होंने देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • उन्होंने कई महत्वपूर्ण कानूनों को लागू किया, जैसे कि न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, बाल श्रम अधिनियम और हिंदू कोड बिल।
  • 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई जारी रखी।

सामाजिक कार्यकर्ता और दलित अधिकारों के लिए संघर्ष:

  • अंबेडकर ने अपना जीवन जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई और दलितों के अधिकारों के लिए समर्पित कर दिया।
  • उन्होंने 1920 में दलितों के अधिकारों के लिए अस्पृश्यता निवारण आंदोलन की शुरुआत की।
  • उन्होंने दलितों के लिए शिक्षा, रोजगार और सामाजिक न्याय के अवसरों की मांग की।
  • उन्होंने कई महत्वपूर्ण सामाजिक सुधारों के लिए आवाज उठाई, जैसे कि बाल विवाह पर प्रतिबंध, महिलाओं के अधिकार और हिंदू कोड बिल।

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डॉ. भीमराव अंबेडकर का संविधान का निर्माण में योगदान:

  • अंबेडकर को भारतीय संविधान का मुख्य शिल्पकार माना जाता है।
  • उन्होंने संविधान सभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मौलिक अधिकारों, सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को शामिल करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • उन्होंने संविधान में अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी और एसटी) के लिए आरक्षण का प्रावधान भी शामिल करवाया।

मृत्यु और विरासत:

  • 6 दिसंबर 1956 को 65 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
  • उन्हें भारत रत्न, देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया।
  • डॉ. अंबेडकर को भारत के महानतम नेताओं में से एक माना जाता है।
  • उनका जीवन और कार्य आज भी प्रासंगिक हैं और वे लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
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