भारत के विविध रंगों की तरह ही, होली का त्योहार भी अपने आप में एक खूबसूरत समागम है। सर्दी के जाने और बसंत के आगमन का जश्न मनाने वाला यह त्योहार, अपनी खुशियों और रंगों से चारों ओर खुशहाली बिखेर देता है। होली की खूबसूरती सिर्फ रंगों में ही नहीं, बल्कि इसके पीछे छिपे अर्थ और परंपराओं में भी है।
- होली एक ऐसा त्योहार है जो हर जाति, धर्म, और समाज के लोगों को एक साथ लाता है। होली के रंग इस एकता के प्रतीक हैं। हर वर्ग के लोग मिलकर रंगों की धूम में जश्न मनाते हैं।
- होली पुरानी रंजिशों को भुलाकर दूसरों को माफ करने का समय है। एक-दूसरे पर रंग डालना दरअसल नकारात्मकता को दूर करने और नई शुरुआत का प्रतीक है।
- होली मौज-मस्ती करने और खुश रहने का वक्त है। होली के चटख रंग इस त्योहार के साथ आने वाली खुशी और आनंद का प्रतीक हैं।
- होली वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। वसंत नई शुरुआत और विकास का मौसम होता है। होली के चमकीले रंग इस दौरान प्रकृति की सुंदरता का जश्न मनाते हैं।
- होली से जुड़ी कहानी होलिका और प्रह्लाद की है। होलिका बुराई का प्रतीक है, जिसे जलाया जाता है। वहीं प्रह्लाद अच्छाई का प्रतीक है और उसकी जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है।
- होली भारतीय संस्कृति और विरासत का एक अहम हिस्सा है। होली के रंग भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतीक हैं।
भारत में होली के धमाकेदार आयोजन Holi 2024 Date in March, Color Festival Date in India
2024 Mein Holi Kitne Tarikh ko Hai? आपके इस प्रश्न का उत्तर नीचे दिया गया है।
Holi 2024 Date in India:
- हिंदू पंचांग के अनुसार: पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9:54 बजे शुरू होकर 25 मार्च को दोपहर 12:29 बजे समाप्त होगी। इस हिसाब से, होलिका दहन 24 मार्च को होगा और रंग वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी।
- काशी पंचांग के अनुसार: कुछ लोग काशी पंचांग को मानते हैं, जिसके अनुसार होली 25 मार्च को ही मनाई जाएगी।
इसलिए, ज्यादातर जगहों पर होली 25 मार्च को ही खेली जाएगी।
भारत में होली का त्यौहार: Holi Festival Events in Different Parts of India
होली सिर्फ रंग नहीं, बल्कि पूरे भारत में अलग-अलग तरीकों से मनाए जाने वाला एक जीवंत उत्सव है। आइए कुछ प्रमुख स्थानों पर होने वाली होली की धूम देखते हैं:
मथुरा और वृन्दावन की होली: Mathura aur Vrindavan ki Holi
मथुरा और वृन्दावन का क्षेत्र होली के लिए खास माना जाता है। यहां 40 दिनों तक चलने वाला होली का उत्सव होता है, जो रंगों, भक्ति और परंपराओं का अद्भुत संगम है। आइए जानते हैं ब्रज की होली (Braj ki Holi) के प्रमुख कार्यक्रमों और उनकी विशेषताओं के बारे में:
1. फुलेरा दूज (Phulehra Dooj): बसंत पंचमी (Basant Panchami) के बाद आने वाले दूज के दिन फुलेरा दूज मनाया जाता है। इस दिन मथुरा के मंदिरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है, और भगवान कृष्ण को फूलों की होली खेली जाती है।
2. लड्डूमार होली (Laddumaar Holi): अगले कुछ दिनों में लड्डूमार होली होती है। नन्द गांव (Nandgaon) के हुरियारे (Hurriare) ग्वालियर (Gwalior) के राजा को चुनौती देते हैं कि वो उन्हें इतने लड्डू दें जिन्हें वो खा न सकें। राजा हार मान लेते हैं और हुरियारों को विजयी घोषित किया जाता है।
3. लठमार होली (Lathmaar Holi): इसके बाद आती है मशहूर लठमार होली। ये ब्रज के बरसाना (Barsana) की विशेष है। यहां महिलाएं लाठी लेकर पुरुषों को छेड़ती हैं और पुरुष ढाल से बचाव करते हैं। माना जाता है कि राधा (Radha) और उनकी सहेलियों ने कृष्ण (Krishna) को रंग लगाने की कोशिश की थी, तो कृष्ण ने बचने की कोशिश की थी। इसी लीला का नटखट रूप है लठमार होली।
4. रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi): फाल्गुन मास (Falgun Maas) की एकादशी (Ekadashi) को रंगभरी एकादशी मनाई जाती है। इस दिन से मथुरा में होली का असली रंग देखने को मिलता है। लोग जमकर रंग खेलते हैं, भक्तिभाव से होली के भजन गाते हैं और खुशियां मनाते हैं।
5. हुरियारे की होली (Hurriare ki Holi): रंगभरी एकादशी के बाद नन्द गांव (Nandgaon) के हुरियारे (Hurriare) पूरे ब्रज में घूमते हुए लोगों को होली खेलने का न्योता देते हैं।
6. रंगों की होली (Rangon ki Holi): होली के दिन मथुरा और वृन्दावन रंगों से सराबोर हो जाते हैं। लोग एक-दूसरे पर रंगों की बौछार करते हैं, नाचते गाते हैं और खुशियां मनाते हैं।
7. होली (Holi) के बाद: होली के बाद, मथुरा और वृन्दावन में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि धुलंडी (Dhulandi) और होली मिलन।
ब्रज की होली (Braj ki Holi) के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- ब्रज की होली को दुनिया की सबसे बड़ी होली माना जाता है।
- इस होली में लाखों लोग भाग लेते हैं।
- ब्रज की होली अपनी अनूठी परंपराओं और रीति-रिवाजों के लिए प्रसिद्ध है।
- ब्रज की होली भक्ति और आध्यात्मिकता का भी प्रतीक है।
पुष्कर की होली: Pushkar ki Holi
राजस्थान (Rajasthan) के छोटे से शहर पुष्कर (Pushkar) को न केवल उसकी खूबसूरती और मंदिरों के लिए जाना जाता है, बल्कि वहां मनाई जाने वाली होली के लिए भी पहचाना जाता है। पुष्कर की होली को देशभर में इसकी अनूठी परंपराओं और रंगों के लिए सराहा जाता है। आइए देखें क्या खास है पुष्कर की होली में:
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कपड़ा फाड़ होली (Kapda Faad Holi Pushkar): पुष्कर की होली को सबसे ज्यादा मशहूर करने वाली चीज़ है “कपड़ा फाड़ होली। होली के दिन यहां लोग पुराने कपड़े पहनकर आते हैं और एक-दूसरे के कपड़ों को फाड़ने की कोशिश करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से बुरी शक्तियां दूर होती हैं और नई चीजों की शुरुआत होती है।
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विदेशी पर्यटकों की मौजूदगी: पुष्कर की होली अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध है। हर साल यहां बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं और इस अनोखे उत्सव का हिस्सा बनते हैं।
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रंगों और भक्ति का संगम: पुष्कर एक धार्मिक स्थल भी है। यहां होली के दौरान मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ होता है और भक्तिभाव से होली के भजन गाए जाते हैं. साथ ही, सड़कों पर रंगों की धूम मची रहती है।
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डीजे की धुन पर होली (DJ ki Dhun par Holi): पुष्कर की युवा पीढ़ी होली को आधुनिक अंदाज में भी मनाती है। यहां ब्रह्मा चौक (Brahma Chowk) और वराह घाट (Varah Ghat) जैसे प्रमुख स्थानों पर डीजे की धुन पर होली खेली जाती है।
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ठंडाई का लुत्फ (Thandai ka Lutf): राजस्थान की प्रसिद्ध ठंडाई (Thandai) पुष्कर की होली (Pushkar ki Holi) का एक अहम हिस्सा है। ठंडाई सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है और गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडा रखती है।
मणिपुर की होली (याओसंग): Yaoshang Manipur Holi
मणिपुर (Manipur) में होली को “याओसंग” (Yaosang) के नाम से जाना जाता है। यह एक रंगीन और जीवंत उत्सव है जो मणिपुरी संस्कृति (Manipuri Culture) का प्रतीक है। याओसंग मणिपुर का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, और इसे पूरे राज्य में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।
याओसंग (Yaoshang) की विशेषताएं:
- रंगों का उत्सव (Rangon ka Utsav): याओसंग रंगों का उत्सव है, जैसे कि होली। लोग एक-दूसरे पर रंगों की बौछार करते हैं, नाचते हैं और गाते हैं।
- पारंपरिक संगीत और नृत्य (Paramparik Sangeet aur Nritya): याओसंग में पारंपरिक संगीत (Traditional Music) और नृत्य (Dance) का विशेष महत्व है। इस दौरान मणिपुरी लोकगीत (Manipuri Folk Songs) और नृत्य (Dance) देखने को मिलते हैं।
- थाबाल चोंगबा (Thabal Chongba): याओसंग का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम थाबाल चोंगबा (Thabal Chongba) है। यह एक लोक नृत्य (Folk Dance) है जिसमें पुरुष और महिलाएं एक साथ नाचते हैं।
- याओसंग खेल (Yaosang Khel): याओसंग के दौरान कई खेलों का आयोजन भी होता है। इनमें से सबसे लोकप्रिय खेल है याओसंग खेल। यह एक पारंपरिक खेल (Traditional Game) है जिसमें दो टीमें एक दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करती हैं।
- धार्मिक महत्व (Dharmik Mahatva): याओसंग का धार्मिक महत्व भी है। यह माना जाता है कि यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) और राधा (Radha) की लीलाओं का प्रतीक है।
याओसंग का समय:
याओसंग मणिपुर में फाल्गुन (Falgun) महीने की पूर्णिमा (Purnima) को मनाया जाता है। यह त्योहार छह दिनों तक चलता है।
गुवाहाटी का टमाटर वाली होली: Guwahati Tomato Holi, Tamatar wali Holi
असम (Assam) की राजधानी गुवाहाटी (Guwahati) में होली का त्योहार एक अनोखे तरीके से मनाया जाता है। यहां लोग एक-दूसरे पर टमाटर (Tomato) फेंकते हैं, जो स्पेन (Spain) के ला टोमैटिना फेस्टिवल (La Tomatina Festival) जैसा रोमांचकारी लगता है। इस अनोखी परंपरा के बारे में जानिए:
इतिहास (Itihaas):
टमाटर वाली होली (Tamatar wali Holi) की शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी। कुछ युवाओं ने एक-दूसरे पर टमाटर फेंकना शुरू किया, जो धीरे-धीरे एक लोकप्रिय परंपरा बन गई।
तरीका (Tarika):
होली के दिन, लोग गुवाहाटी के बाहरी इलाके में इकट्ठा होते हैं और एक-दूसरे पर टमाटर (Tomato) फेंकते हैं। वे रंगों (Colors) का भी इस्तेमाल करते हैं और नाचते गाते हैं।
महत्व (Mahatva):
टमाटर वाली होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार लोगों को एकजुट करता है और खुशियां मनाने का मौका देता है।
रोमांच (Romanch):
टमाटर वाली होली एक रोमांचक अनुभव है। टमाटर फेंकने और रंगों में खेलने का मजा कुछ और ही होता है।
अन्य जगहों पर टमाटर वाली होली (Tamatar wali Holi):
गुवाहाटी के अलावा, भारत (India) के कुछ अन्य शहरों में भी टमाटर वाली होली मनाई जाती है। इनमें दिल्ली (Delhi), मुंबई (Mumbai) और चेन्नई (Chennai) शामिल हैं।
उत्तराखंड की बैठी होली: Uttarakhand ki Baithki Holi
उत्तराखंड (Uttarakhand) के कुमाऊं (Kumaun) क्षेत्र में मनाई जाने वाली बैठी होली (Baithki Holi) एक अनोखा उत्सव है। यह होली के त्योहार का एक विशेष रूप है, जिसमें ढोल (Dhol) की थाप पर लोग लोकगीत (Folk Song) गाते हैं और एक-दूसरे को गुलाल (Gulal) लगाते हैं।
बैठी होली (Baithki Holi) की विशेषताएं:
- ढोल की थाप (Dhol ki Thaap): बैठी होली में ढोल की थाप का विशेष महत्व है। ढोल की थाप पर लोग लोकगीत गाते हैं और नृत्य (Dance) करते हैं।
- लोकगीत (Folk Song): बैठी होली में कुमाऊंनी (Kumauni) लोकगीत गाए जाते हैं। इन लोकगीतों में होली के त्योहार का वर्णन होता है और भगवान कृष्ण और राधा की लीलाओं का गायन किया जाता है।
- गुलाल (Gulal): बैठी होली में लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं। गुलाल रंगों का प्रतीक है, जो खुशियों और उमंग का संदेश देता है।
- भक्ति और आनंद (Bhakti aur Anand): बैठी होली भक्ति (Devotion) और आनंद (Joy) का त्योहार है। इस त्योहार में लोग भगवान कृष्ण और राधा की भक्ति करते हैं और होली के त्योहार का आनंद लेते हैं।
बैठी होली का समय:
बैठी होली होली के त्योहार से पहले मनाई जाती है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा से शुरू होता है और एक सप्ताह तक चलता है।
केरल का उक्कुली /मंजुल कुली: Kerala Holi: Ukuli /Manjul Kuli
केरल (Kerala) में होली को “उक्कुली” (Ukkulli) या “मंजुल कुली” (Manjul Kuli) के नाम से जाना जाता है। यह उत्सव रंगों से परे, एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाला त्योहार है।
उक्कुली (Ukkulli) की विशेषताएं:
- होलिका दहन (Holika Dahan): होलिका दहन के बाद, लोग राख से अपने माथे पर तिलक (Tilak) लगाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन (Paramparik Vadyayantraon ki Dhun): उक्कुली के दौरान लोग ढोल (Dhol), चंडा (Chanda) और मृदंग (Mridang) जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों (Traditional Musical Instruments) की धुन पर नाचते हैं।
- धार्मिक अनुष्ठान (Dharmik Anushthan): उक्कुली के दौरान कई धार्मिक अनुष्ठान (Religious Rituals) किए जाते हैं।
- लोक नृत्य (Lok Nritya): उक्कुली में कई लोक नृत्य जैसे कि “कावुड़ी” (Kavadi) और “थिरुवाथीरा” (Thiruvathira) किए जाते हैं।
- सामाजिक समरसता (Samajik Samrasata): उक्कुली सामाजिक समरसता (Social Harmony) का प्रतीक है। इस त्योहार में सभी जाति, धर्म और समुदाय के लोग एक साथ आते हैं और खुशियां मनाते हैं।
उक्कुली (Ukkulli) का समय:
उक्कुली होली (Holi) के त्योहार के बाद अगले दिन मनाया जाता है।
उक्कुली के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- उक्कुली (Ukkulli) शब्द संस्कृत (Sanskrit) शब्द “उत्कुल” (Utkula) से आया है, जिसका अर्थ है “उत्तरी क्षेत्र”।
- उक्कुली केरल के उत्तरी भागों (Northern Parts) में अधिक लोकप्रिय है।
- उक्कुली को “मंजुल कुली” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “रंगीन त्योहार” (Colorful Festival)।
गोवा की शिगमो: Goa ki Holi: Shigmo
गोवा (Goa) में होली को “शिगमो” (Shigmo) के नाम से जाना जाता है। यह एक रंगीन और जीवंत उत्सव है जो गोवा की संस्कृति (Culture) का प्रतीक है। शिगमो गोवा का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, और इसे पूरे राज्य में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।
शिगमो (Shigmo) की विशेषताएं:
- रंगों का उत्सव (Rangon ka Utsav): शिगमो रंगों का उत्सव है, जैसे कि होली। लोग एक-दूसरे पर रंगों की बौछार करते हैं, नाचते हैं और गाते हैं।
- कार्निवल (Carnival): शिगमो में एक भव्य कार्निवल (Carnival) का आयोजन होता है, जिसमें लोग रंगीन वेशभूषा पहनकर नाचते गाते हैं।
- पारंपरिक नृत्य और संगीत (Paramparik Nritya aur Sangeet): शिगमो में पारंपरिक नृत्य (Traditional Dance) और संगीत (Music) का विशेष महत्व है। इस दौरान गोवा के लोकगीत और नृत्य देखने को मिलते हैं।
- धार्मिक महत्व (Dharmik Mahatva): शिगमो का धार्मिक महत्व भी है। यह माना जाता है कि यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण और राधा की लीलाओं का प्रतीक है।
शिगमो का समय:
शिगमो गोवा में चैत्र (Chaitra) महीने की पूर्णिमा (Purnima) को मनाया जाता है। यह त्योहार छह दिनों तक चलता है।
शिगमो के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- शिगमो शब्द संस्कृत (Sanskrit) शब्द “शिशुमार्ग” (Shishumarga) से आया है, जिसका अर्थ है “वसंत का आगमन” (Arrival of Spring)।
- शिगमो गोवा के हिंदू (Hindu) और मुस्लिम (Muslim) दोनों समुदायों द्वारा मनाया जाता है।
- शिगमो के दौरान गोवा में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
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