Katchatheevu Island भारत और श्रीलंका के बीच एक विवादित क्षेत्र है। यह पाक जलडमरूमध्य में स्थित 285 एकड़ का एक छोटा निर्जन द्वीप है, जो भारत के रामेश्वरम से लगभग 14 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है।
आइए द्वीप के इतिहास और विवाद पर एक नज़र डालते हैं:
कच्चाथीवू द्वीप का इतिहास: History of Katchatheevu Island:
- माना जाता है कि 14वीं शताब्दी में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण यह द्वीप बना था।
- ब्रिटिश शासन के दौरान भारत और श्रीलंका इस द्वीप को संयुक्त रूप से इस्तेमाल करते थे।
- शुरूआत में यह रामनाथपुरम के राजा के अंतर्गत था और बाद में मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा बना।
कच्चाथीवू द्वीप का विवाद: Katchatheevu Island dispute
- 1921 में भारत और श्रीलंका दोनों ने इस द्वीप पर मछली पकड़ने के अधिकार को लेकर अपना दावा किया।
- 1974 में भारत सरकार ने समुद्री सीमा समझौते के तहत श्रीलंका को यह द्वीप सौंप दिया।
- इस फैसले को लेकर भारत में काफी विरोध प्रदर्शन हुए क्योंकि मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए परंपरागत रूप से इस क्षेत्र पर निर्भर रहना पड़ता था।
कच्चाथीवू द्वीप द्वीप का हस्तांतरण: Transfer of Katchatheevu Island
- 1974 में, भारत सरकार ने श्रीलंका के साथ एक समझौता किया और कच्चाथीवू द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया।
- यह समझौता तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा किया गया था।
- इस समझौते के तहत, भारत ने द्वीप पर अपना अधिकार छोड़ दिया और श्रीलंका को पूर्ण अधिकार दे दिया।
कच्चाथीवू द्वीप: आरटीआई से प्राप्त जानकारी Katchatheevu Island: Information received from RTI
- आरटीआई के माध्यम से प्राप्त जानकारी से पता चला कि भारत सरकार ने द्वीप को श्रीलंका को सौंपने के लिए कोई संसदीय अनुमोदन नहीं लिया था।
- यह जानकारी एक चौंकाने वाला खुलासा था, क्योंकि यह दर्शाता है कि द्वीप का हस्तांतरण गैरकानूनी तरीके से किया गया था।
कच्चाथीवू द्वीप पर राजनीतिक प्रतिक्रिया: Political reaction on Katchatheevu Island
- इस खुलासे के बाद, विपक्षी दलों ने सरकार पर जमकर हमला किया।
- उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के हितों को धोखा दिया है और द्वीप को वापस लेने की मांग की।
- सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि द्वीप का हस्तांतरण एक रणनीतिक निर्णय था।
PM modi ने कांग्रेस सरकार पर उठाए सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 1974 में श्रीलंका को दिए गए छोटे से द्वीप कच्चातिवू के बारे में नई जानकारी से पता चलता है कि कांग्रेस पार्टी ने इसके महत्व को नजरअंदाज किया. यह जानकारी सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत किए गए एक अनुरोध के जवाब से मिली। इससे पता चलता है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यह द्वीप श्रीलंका को दे दिया था। तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख के. अन्नामलाई ने आरटीआई के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त की, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे भारत ने द्वीप पर नियंत्रण खो दिया।
Eye opening and startling!
New facts reveal how Congress callously gave away #Katchatheevu.
This has angered every Indian and reaffirmed in people’s minds- we can’t ever trust Congress!
Weakening India’s unity, integrity and interests has been Congress’ way of working for…
— Narendra Modi (@narendramodi) March 31, 2024
कच्चाथीवू द्वीप द्वीप का महत्व: Katchatheevu Island Importance of the Island
- कच्चाथीवू द्वीप रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पक जलडमरूमध्य में स्थित है।
- यह जलडमरूमध्य भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री मार्ग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- द्वीप के नियंत्रण से इस जलडमरूमध्य से गुजरने वाले जहाजों पर नियंत्रण भी मिलता है।
कच्चाथीवू द्वीप की वर्तमान स्थिति:
- वर्तमान में, द्वीप श्रीलंका के नियंत्रण में है।
- भारत सरकार ने द्वीप को वापस लेने की कोई आधिकारिक मांग नहीं की है।
- द्वीप का मुद्दा भारत-श्रीलंका संबंधों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है।
आरटीआई से प्राप्त जानकारी ने कच्चाथीवू द्वीप के हस्तांतरण के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इस मुद्दे ने भारत-श्रीलंका संबंधों में तनाव पैदा किया है। यह देखना बाकी है कि भारत सरकार द्वीप को वापस लेने के लिए क्या कदम उठाती है।