Is same sex marriage/Gay Marriage/ Lesbian Merriage legal in Thailand? थाईलैंड समलैंगिक विवाह को वैध करने वाला एशिया का तीसरा देश बन गया है। देश के प्रतिनिधि सभा ने बुधवार को भारी बहुमत से विवाह समानता विधेयक को मंजूरी दे दी, जिससे यह किसी भी लिंग के विवाह भागीदारों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करेगा।
Thailand legalize same sex marriage: यह विधेयक एक महत्वपूर्ण बदलाव लाता है। अब दीवानी और वाणिज्य संहिता में विवाह को “एक पुरुष और एक महिला के बीच” परिभाषित करने के बजाय, इसे “दो व्यक्तियों के बीच” के रूप में परिभाषित किया जाएगा। इसी तरह, “पति” और “पत्नी” शब्दों को “विवाहित साथी” से बदल दिया जाएगा। यह बदलाव LGBTQ+ समुदाय के लिए समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है और उन्हें विवाह के सभी कानूनी, वित्तीय और चिकित्सा अधिकार प्रदान करेगा।
ये भी पढ़ें:- Rumi Alqahtani: सऊदी अरब की पहली महिला मोडेल Miss Universe मे
कौन से अन्य एशियाई देशों में समलैंगिक विवाह वैध है? same sex marriage also legal in two more asian countries
Thailand एशिया में समलैंगिक विवाह को वैध करने वाला तीसरा देश है।
-
ताइवान में समलैंगिक विवाह : Taiwan Same Sex Marriage
ताइवान एशिया का पहला ऐसा देश बन गया जिसने 2019 में समलैंगिक जोड़ों को विवाह करने का कानूनी अधिकार दिया। यह फैसला कई सालों के सामाजिक आंदोलन और कानूनी लड़ाई के बाद आया।
-
इस ऐतिहासिक फैसले से पहले, ताइवान में ही-सेक्स जोड़ों को केवल घरेलू साझेदारी (Domestic Partnership) का विकल्प मिलता था, जो विवाह के समान अधिकार नहीं देता था। समलैंगिक विवाह के समर्थकों का मानना था कि घरेलू साझेदारी भेदभावपूर्ण है और समानता का उल्लंघन करती है।
2017 में, ताइवान के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें यह घोषणा की गई कि वर्तमान कानून असंवैधानिक है और समलैंगिक जोड़ों को विवाह करने का अधिकार होना चाहिए। इस फैसले के बाद, सरकार ने एक कानून बनाया जिसने 2019 में समलैंगिक विवाह को वैध कर दिया।
ताइवान के समलैंगिक विवाह कानून को एशिया में एलजीबीटी अधिकारों (LGBT Rights) के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जाता है। यह फैसला अन्य एशियाई देशों में भी समलैंगिक अधिकारों के आंदोलन को प्रेरित कर सकता है।
हालाँकि, ताइवान में अभी भी समलैंगिक समुदाय के लिए कई चुनौतियाँ हैं, जैसे कि समलैंगिक गोद लेने का अधिकार। लेकिन, समलैंगिक विवाह को वैध बनाने का फैसला निश्चित रूप से ताइवान में एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
-
नेपाल में पहली समलैंगिक शादी: Nepal on Same Sex Marriage
नेपाल ने इतिहास रच दिया है! हाल ही में नेपाल में पहली समलैंगिक शादी (First gay marriage in Nepal) को आधिकारिक तौर पर दर्ज कराया गया, जिससे यह दक्षिण एशिया का पहला ऐसा देश बन गया जिसने समलैंगिक विवाह को संस्थागत मान्यता दी है।
-
यह घटनाक्रम काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि नेपाल में समलैंगिक अधिकारों को लेकर लंबे समय से चली आ रही लड़ाई का यह सुखद परिणाम है।
2007 में ही नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को अनुमति देने की दिशा में कदम उठाया था। further, (further,) 2015 में अपनाए गए नेपाल के संविधान में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यौन रुझान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता।
हालांकि, लेकिन (lekin,) इस ऐतिहासिक फैसले के बावजूद समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के लिए जरूरी कानून मौजूद नहीं थे। इस वजह से कुछ समय पहले जब सुरेंद्र पांडे और माया गुरुंग नाम के एक समलैंगिक जोड़े ने विवाह का पंजीकरण कराना चाहा तो उनकी अर्जी खारिज कर दी गई थी।
लेकिन नेपाल का एलजीबीटी समुदाय (LGBT Samuday) हार मानने को तैयार नहीं था। आखिरकार उनकी निरंतर कोशिशों को सफलता मिली और नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने जून 2023 में एक अंतरिम आदेश जारी कर समलैंगिक विवाह को वैध करार दिया।
हाल ही में 35 वर्षीय ट्रांस-महिला माया गुरुंग और 27 वर्षीय समलैंगिक सुरेंद्र पांडे ने पश्चिमी नेपाल के लामजंग जिले के डोरडी ग्रामीण नगर पालिका में आधिकारिक रूप से शादी कर ली। यह नेपाल और पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक ऐतिहासिक घटना है।
नेपाल में पहली समलैंगिक शादी ना सिर्फ एलजीबीटी समुदाय के लिए बल्कि समानता और सामाजिक न्याय के लिए भी एक बड़ी जीत है। उम्मीद की जाती है कि यह फैसला पूरे क्षेत्र में समलैंगिक अधिकारों के आंदोलन को बल देगा।
भारत में समलैंगिक विवाह: Same Sex Marriage in India
Gay Marriage in India का मुद्दा काफी जटिल और बहुआयामी है।
वर्तमान स्थिति (Vartmaan Sthiti)
- भारत में अभी तक समलैंगिक विवाह या किसी प्रकार के समलैंगिक सम्बन्धों को कानूनी मान्यता नहीं प्राप्त है।
- हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के ऐतिहासिक फैसले में धारा 377 को समाप्त कर दिया था, जिससे समलैंगिक सम्बन्धों को अपराध की श्रेणी से बाहर निकाला गया।
- अगस्त 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों को “परिवार इकाई” (Parivaar Ekayi) के रूप में मान्यता दी और उन्हें लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) में सामाजिक सुरक्षा अधिकार प्रदान किए।
सरकार का रुख (Sarkar Ka Rukh)
- केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह का विरोध किया है।
- सरकार का कहना है कि विवाह एक पवित्र संघ है और इसे संसकार (Sanskar) माना जाता है।
- उनका तर्क है कि मौजूदा कानून विवाह को केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच मान्यता देता है।
समर्थकों के तर्क (Samarthaakon Ke Tarka)
- समलैंगिक विवाह के समर्थक समानता के अधिकार की बात करते हैं।
- उनका मानना है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीने और सम्मान के साथ जीने के मौलिक अधिकार में सभी व्यक्तियों को शामिल किया जाना चाहिए, चाहे उनका यौनिक झुकाव (Yौनिक Jhukaav) कुछ भी हो।
- वे यह भी तर्क देते हैं कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से मजबूत परिवार और समुदाय बनेंगे।
भविष्य की राह (Bhavishy Ki Raah)
- सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह के मुद्दे को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ (Samvidhaan Peeth) को सौंप दिया है।
- आने वाले समय में इस फैसले से भारत में समलैंगिक विवाह का भविष्य तय होगा।